बवासीर में चावल खाना चाहिए या नहीं : बवासीर या पाइल्स एक ऐसी बीमारी है जिसमें गुदा के अंदर और बाहर की नसें सूज जाती हैं। इससे गुदा के अंदर या बाहर कुछ मस्से बन जाते हैं,
जिनसे कभी-कभी खून भी निकलता है और दर्द भी होता है, जिसे खूनी बवासीर कहा जाता है कभी-कभी ये मस्से दबाव में निकल आते हैं।
अगर परिवार में किसी को ऐसी समस्या रही हो तो आने वाली पीढ़ी में भी इसके होने की आशंका रहती है।
हम ने सुना होगा की यदि किसी को बवासीर (Piles) होती है तो डॉक्टर उनके कुछ ऐसे पदार्थ खाने पर रोक लगाते है
जिसके चलते पेशंट को बवासीर से होने वाले पीड़ा से राहत मिल सके तो आज हम उन्ही सभी पदार्थ के बारे में चर्चा करेंगे जिसके मदत से आप को पता चलेगा की बवासीर में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं
अनुक्रम
बवासीर मे चावल खाना चाहिए या नही (Bawaseer me Chawal khana Chahiye ya Nahi)

बवासीर और फिशर में क्या अंतर है
अक्सर हम देखते हैं कि कई बार लोग पाइल्स और फिशर को लेकर काफी असमंजस में पड़ जाते हैं फिशर भी गुदा का एक रोग होता है, लेकिन यह गुदा में दरार डालता है। यह दरार छोटी या इतनी बड़ी हो जाती है कि इससे खून बहने लगता है।
- बवासीर के प्रथम चरण
यह प्रारंभिक चरण है। यह कोई विशेष लक्षण नहीं दिखाता है। इसमे कई बार रोगीयो को पता ही नहीं चलता कि उसे बवासीर हो गया है।
इसमे केवल थोड़ी सी खुजली होती है और कभी-कभी परिश्रम करने पर हल्का खून निकलना शुरू हो जाता है। तब उस व्यक्ति को पता चलता है कि उसे बवासीर हुआ है।
- बवासीर का दूसरा चरण
जिन लोगों को बवासीर होता है उसे मल त्याग करने के दौरान मस्से निकलने लगते हैं, लेकिन हाथ से अंदर जाने पर वे अंदर चले जाते हैं। पहले चरण की तुलना में इसमें थोड़ा अधिक दर्द महसूस होता है और ज्यादा मेहनत करने पर खून भी आने लगता है
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बाबासीर का तीसरा चरण
यह स्थिति थोड़ी गंभीर हो जाती है क्योंकि इसमें मस्से बाहर की तरफ रहते हैं। उन्हें हाथ से भी नहीं लगाया जा सकता। इस स्थिति में बवासीर रोगी को तेज दर्द होता है और मल त्याग के साथ खून आता है।
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बवासीर का तीर्थ चौथा चरण
यह एक बिगड़ती स्थिति है। इसमें मस्से बाहर की तरफ लटक जाते हैं। बवासीर रोगी को तेज दर्द और रक्तस्राव की शिकायत होती है। संक्रमण की संभावना बनी रहती है।
बवासीर के लक्षण क्या है
- मल त्याग के दौरान चमकीला चमकदार रक्त या बलगम आना।
- गुदा के आसपास सूजन या गांठ जैसा महसूस होना। गुदा के आसपास खुजली होना।
- मल त्याग करने के बाद भी ऐसा लगता है जैसे पेट साफ नहीं हुआ है।
- बवासीर के मस्सों में सिर्फ खून आता है, दर्द नहीं होता। अगर दर्द होता है तो यह संक्रमण के कारण होता है।
बवासीर होने के कारण क्या है
आजकल ज्यादातर लोगों को गलत खान-पान के कारण कब्ज की समस्याएं ज्यादातर बनती रहती है जानकारी के लीए आपको बता दे कि कब्ज बवासीर का सबसे बड़ा कारण है।
कब्ज के कारण कई बार मल त्याग करते समय जोर लगाना पड़ता है और इस कारण बवासीर की शिकायत हो जाती है। जिन लोगों का काम ज्यादा देर तक खड़ा रहना होता है उन्हें पाइल्स की समस्या हो सकती है।
गु!दा मैथुन करने से भी बवासीर हो सकता है। मोटापा इसका एक और महत्वपूर्ण कारण है। कई बार प्रेग्नेंसी के दौरान भी पाइल्स की समस्या हो सकती है। अक्सर देखा जाता है कि कुछ महिला को डिलीवरी के बाद बवासीर होने की संभावना रहती है ।
बवासीर का उपचार कैसे किया जा सकता है
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एलोपैथी
बवासीर का उपचार तो ऐसे कई तरीकों से किया जा सकता है लेकिन अगर बवासीर प्रथम और दुसरे चरम पर होता है तो उसे औषधियों के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है इतना ही नहीं अगर बवासीर प्रथम और दूसरे चरण पर रहता है तो इसके लिए के लिए सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है।
अगर आप बवासीर को दवाइयों के द्वारा ठिक करना चाहते हैं तो एनोवेट और फक्टू बवासीर की सबसे बेहतरीन दवा है। इन दवाओं में से कोई भी दवा एक दिन में तीन बार बवासीर पर लगाया जा सकता है।
अगर आप इस दवाई का इस्तेमाल करते हैं तो उससे पहले उस दवाई के ऊपर लिखे गए निर्देश को अच्छी तरीके से पढ़ ले अगर आपको समझ में नहीं आता है तो आप अपने निजी डॉक्टर से पूछ ले उसके बाद ही इस दवाई का उपयोग करें।
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ऑपरेशन रबर बैंड लिगेशन
यदि मस्से थोड़े बड़े हैं तो रबर बैंड लिगेशन का उपयोग किया जाता है। इसमें मस्से की जड़ पर एक या दो रबर बैंड बांध दिए जाते हैं, जिससे उनमें रक्त का प्रवाह रुक जाता है।
इसमें डॉक्टर गुदा के अंदर एक उपकरण डालते हैं और जिसकी मदद से मस्से की जड़ से रबर बैंड बांध दिया जाता है। जिसके कारण मस्सा कुछ ही दिनों में सुखकर हट जाता है।
इसके लिए संज्ञाहरण की आवश्यकता नहीं है। एक बार में दो से तीन मस्से भी ठीक हो जाते हैं। इसके बाद मरीज को दोबारा जांच करने और दवाई के लिए भी बुलाया जाता है बवासीर के मरीज को कभी भी अस्पताल में भर्ती नहीं किया जाता है।
जब बाबासीर के मरीजों के साथ या प्रक्रिया किया जाता है तो उसे 24 से 48 घंटों के अंदर दर्द महसूस होने लगता है तब जाकर डॉक्टर इस दर्द से छुटकारा पाने के लिए दबा देते हैं
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स्क्लेरोथेरेपी:
इस पद्धति का उपयोग तभी किया जाता है जब मस्से छोटे हों। इस विधि का प्रयोग.प्रथम चरण दुसरे चरण तक किया जाता है। इसमें बवासीर रोगी को एक इंजेक्शन दिया जाता है।
इससे मस्से सिकुड़ जाते हैं और उसके बाद यह धीरे-धीरे शरीर द्वारा ही अवशोषित हो जाता है। यदि मस्सा निकल कर लटक गया हो तो इस विधि का प्रयोग नहीं किया जाता है।
इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है। यह एक डे केयर प्रक्रिया है यानी अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं है।
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स्टेपलर सर्जरी
इस विधि का उपयोग वाबासिर के तीसरे चरण या चौथे चरण के लीए केवल किया जाता है।इस प्रक्रिया में सामान्य, क्षेत्रीय और स्थानीय संज्ञाहरण भी दिया जाता है। अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है।
प्रोलैप्स्ड पाइल्स (बाहर निकले हुए मस्से) को सर्जिकल स्टेपल के साथ वापस अंदर धकेल दिया जाता है और रक्त की आपूर्ति काट दी जाती है
जिससे ऊतक सिकुड़ जाते हैं और शरीर उन्हें अवशोषित कर लेता है। यह प्रक्रिया हेमोराहाइडेक्टोमी की तुलना में कम दर्दनाक है और ठीक होने में भी काफी कम समय लगता है ।
बवासीर मे चावल खाना चाहिए या नही
जिन लोगों को बाबासीर है उन लोगों को चावल खाना चाहिए या नहीं इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए
क्योंकि बवासीर वाले रोगियों को चावल खाने से अत्यधिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है बवासीर में कुछ ऐसी चीजें होती है जिन्हें खाने के लिए डॉक्टर सलाह नहीं देते हैं।
बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के लिए किसी भी चीज को देखकर यह पूछा जाता है कि यह खाना चाहिए या नहीं इसी तरह आपने अक्सर देखा होगा कि जिन लोगों को बवासीर होता है उसे चावल खाने के लिए भी मना किया जाता है।
चावल देने से पहले यह सोचाना पङता है कि चावल से उसे फायदा होगा या नुकसान ऐसा इसलिए होता है क्योंकि बवासीर वाले रोगियों को ऐसा खाना देना जरूरी होता है जो वह पचा सके ।
डॉक्टर अक्सर बवासीर से पीड़ित रोगियों को चावल खाने से इसलिए मना करते हैं क्योंकि चावल खाने से एसिडिटी और कब्ज की समस्याएं अत्यधिक बढ़ सकती है जो बवासीर के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।
बवासीर रोगियों को क्या खाना चाहिए
- अत्यधिक मात्रा में पानी पीना चाहिए
पेट से जुड़ी किसी भी बीमारी के इलाज में पानी अहम भूमिका निभाता है। यदि आप बवासीर से पीड़ित हैं तो आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि अत्यधिक पानी पीने से शरीर में उपस्थित गंदगी बाहर निकलती है।
कोशिश करें कि दिन भर में कम से कम 3-4 लीटर पानी पिएं। पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है। इसके अलावा, मल त्याग भी आसान होता है।
आप पानी पीने के साथ-साथ सेब, केला, संतरा, खीरा, गाजर या पालक का जूस भी पी सकते हैं। बवासीर में भी यह बहुत फायदेमंद होता है।
- साबुत अनाज खाना चाहिए
साबुत अनाज में फाइबर अधिक मात्रा में पाया जाता है, जो बवासीर में बहुत फायदेमंद होता है। बवासीर से पीड़ित रोगी को डॉक्टर आहार में साबुत अनाज जैसे ओट्स, ब्राउन राइस और साबुत गेहूं आदि को शामिल करने की सलाह देते हैं।
साबुत अनाज का सेवन करने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है और मल नरम हो जाता है, जिससे मल त्याग के दौरान दर्द या रक्तस्राव कम होता है।
- फलो का सेवन करना चाहिए
बवासीर के लक्षणों को कम करने में फलों का सेवन काफी फायदेमंद साबित होता है। आप अपने आहार में केला, सेब, अंगूर और संतरे को शामिल कर सकते हैं। इन फलों में विटामिन, मिनरल और फाइबर पाए जाते हैं जो बवासीर में फायदेमंद होते हैं।
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हरी पत्तेदार सब्जी का सेवन करना चाहिए
हरी और पत्तेदार सब्जियों में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन और मिनरल मौजूद होते हैं जो बवासीर के लक्षणों को कम करते हैं। इसलिए ज्यादातर लोगों को हरी पत्तेदार सब्जी पालक गोभी हीरा यह सब खाना चाहिए ।
- बाबासीर रोगियों को छाछ पीना चाहिए
छाछ पीने से शरीर को ठंडक का अहसास होता है, जिससे उत्तेजित नसें शांत हो जाती हैं। छाछ शरीर से गुदा में सूजन और संक्रमण को दूर करने में मदद करती है। साथ ही, यह बवासीर के लक्षणों को प्रभावी रूप से कम कर सकता है।
- बवासीर को हर्बल चाय का सेवन करना
बवासीर में हर्बल टी काफी मददगार साबित होती है। हर्बल चाय का सेवन मल त्याग के दौरान सूजन और खून को कम करता है। बाजार में कई तरह की हर्बल टी उपलब्ध हैं। आप अपने डॉक्टर से सलाह लेने के बाद हर्बल चाय में से किसी एक को चुन सकते हैं।
बवासीर रोगियों को क्या नहीं खाना चाहिए
आजकल ज्यादातर लोग अपने खाने में तेल मसाला का सेवन करते हैं जिससे उन्हें अत्यधिक बीमारियों का सामना करना पड़ता है
जैसे कि ज्यादातर तेल मसाला खाने से एसिडिटी की समस्याएं हो जाती है
जिसके कारण उन्हें तेल मसाला का सेवन करना बंद करना पड़ता है वैसे ही जो लोग बवासीर रोग से परेशान हैं उन्हें भी इन सभी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
तेलीय और मसालेदार सब्जी का सेवन ना करें
तैलीय और मसालेदार चीजों में फैट अधिक मात्रा में पाया जाता है जो बवासीर की स्थिति को गंभीर बना सकता है। अगर आप बवासीर से पीड़ित हैं तो आपको फ्रेंच फ्राइज, फ्राइड मोमोज, समोसा, कचौरी और फास्ट फूड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए।
तेल और मसालों से भरपूर भोजन पाचन तंत्र को कमजोर कर देता है, जिससे कब्ज की समस्या हो जाती है। साथ ही सूजन का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए जरूरी है कि आप खुद को तैलीय और मसालेदार चीजों से दूर रखें।
सफेद ब्रेड का सेवन ना करें
सफेद ब्रेड को पचाना बहुत मुश्किल होता है। साथ ही इसके सेवन से कब्ज होने की संभावना बढ़ जाती है जो बवासीर के लक्षणों को और खराब करने का काम करती है। अगर आप नाश्ते में सफेद ब्रेड खाते हैं तो आपको इसका सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए।
चाय और कॉफी का अत्यधिक सेवन ना करें
चाय और कॉफी में कैफीन मौजूद होता है जो बवासीर की स्थिति को खराब करने का काम करता है। चाय और कॉफी के सेवन से शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिससे मल सख्त हो जाता है।
नतीजतन, मल त्याग के दौरान दर्द और रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बवासीर में चाय-कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।
सिगरेट और गुटका के सेवन से बचें
सिगरेट और गुटखा का सेवन भी बवासीर की स्थिति को और खराब कर सकता है। अगर आप इनका सेवन करते हैं तो आपको इनका सेवन तुरंत बंद कर देना चाहिए।
बवासीर से बचने के लिए अपने जीवनशैली में करें इन चीजों का बदलाव
- फास्ट फूड से रहें दूर
- तनाव और क्रोध से दूर रहें
- कोल्ड ड्रिंक का सेवन न करें
- तली-भुनी चीजें न खाएं
- समय पर उठो और सो जाओ
- खुश रहने की कोशिश करो
- सुबह और शाम ब्रश करें
- दिन में 3-4 बार खाएं
- ताजा और हल्का भोजन करें
- शौचालय जाने का मन करता है
- रोज सुबह ठंडे पानी से नहाएं
- आराम से खाना चबाएं
- सुबह खाली पेट 1-2 गिलास पानी पिएं
- अधिक पानी और जूस पिएं
- हमेशा अपने मन को शांत रखना चाहिए
- 10-15 मिनट खाना खाने के बाद घूमना चाहिए।
- हमेशा ऐसा काम करना चाहिए जिससे आप खुश हो
- रोजाना सुबह या शाम हल्का व्यायाम करें
- सप्ताह मे एक दिन व्रत रखना चाहिए
FAQ,s – बवासीर (पाइल्स) मे चावल खाना चाहिए या नही ?
सवाल : बवासीर में दूध पीना चाहिए या नहीं
बवासीर रोगियों को दूध पीना चाहिए लेकिन अगर उनको दूध से कब जैसी समस्याएं होती है तो उन्हें दूध पीने से बचना चाहिए।
सवाल : क्या बवासीर रोगियों को बादाम खाना चाहिए?
बवासीर रोगियों को बादाम खाना चाहिए क्योंकि बादाम में अत्यधिक मात्रा में फाइबर पाया जाता है जो उनके लिए फायदेमंद होता है इसके अलावा इसमें anti-inflammatory गुण भी पाया जाता है जो सूजन को प्रभावी ढंग से काम भी कर सकता है।
सवाल : बवासीर को जड़ से कैसे खत्म किया जा सकता है?
बवासीर का उपचार इसके प्रकार, गंभीरता और ग्रेड पर निर्भर करता है। डॉक्टर के अनुसार सर्जरी से बवासीर को जड़ से खत्म किया जा सकता है। बवासीर सर्जरी के कई अलग-अलग प्रकार हैं .
जिनमें ओपन सर्जरी और लेजर सर्जरी शामिल हैं। लेजर सर्जरी एक आधुनिक और उन्नत प्रक्रिया है, जिसके बाद बवासीर की पुनरावृत्ति का जोखिम लगभग न के बराबर होता है।
आप किसी अनुभवी और भरोसेमंद डॉक्टर से सलाह लेने के बाद सर्जरी की मदद से अपने बवासीर को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
Conclusion
इस लेख में आपने जाना कि बवासीर मे चावल खाना चाहिए या नही हम आशा करते हैं कि आप बवासीर में क्या खाना चाहिए या नहीं के बारे में जान गए होंगे
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