karo ya Maro ka nara kisne Diya : क्या आप जानना चाहते हैं की करो या मरो का नारा किसने, कब और क्यों दिया था ? यदि हाँ, तो इस लेख को शुरू से अंत तक जरूर पढ़े क्योकि इस पोस्ट में हम ने करो या मरो (नारा) से सबंधित सभी जानकारिया विस्तार में साझा किया है
करो या मरो का नारा सत्य और अहिंशा पर चलने वाले एक मात्र देश भक्त नेता महात्मा गाँधी जी के द्वारा दिया गया हैं।
जिन्होंने भारत की आजादी को हासिल करने में बहुत ही अहम् भूमिका निभाए थे। महात्मा गाँधी एक ऐसे देश भक्त थे जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश भक्ति में बिता दिया था।
इनको पूरी दुनिया लोहा मानती थी। यदि इनके बारे में आप पहली बार पढ़ रहे हैं तो आज आपकी आँख खुली की खुली रह जाएगी । तो चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं ” karo ya Maro ka nara kisne Diya ”

अनुक्रम
karo ya Maro ka nara kisne Diya in Hindi
करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी द्वारा दिया गया हैं। अहिंसावादी सोच का अनुसरण करने वाले महात्मा गांधी जिन्होंने भारत के आजादी को हासिल करने में अहम् योगदान निभाया, वर्ष 1942 ई. में यह नारा बॉम्बे में अखिल भारतीय कांग्रेस की हूँ बैठक का संबोधन करते हूँ दिये थे।
- करो या मरो का नारा किसने दिया ? – महात्मा गांधी
- करो या मरो का नारा कब दिया गया ? – वर्ष 1942 ईं. में
करो या मरो का नारा किस से सबंधित हैं ?
करो या मरो का नारा महात्मा गांधी के द्वारा सबंधित हैं। अगस्त 1942 ईं. में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की तथा भारत पर शासन कर रहे अग्रेजो को भारत छोड़ कर जाने के लिए अग्रेजों को मजबूर करने के लिए एक सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ” Karo Ya maro ” का शुरुआत किया।
इस आंदोलन के बाद सरकारी भवनों, स्कूलों तथा अन्य स्थानों पर तेजी से हिंसा शुरू हो गई। जिनमे दंगा, तोड़-फोड़ और बहुत सारी घटनाये हुई।
जिनमे महात्मा गांधी को उत्तरदायी ठहराया गया। कांग्रेस सरकार ने प्रतिबंध लगा दिया और सभी नेताओं को गिरफ़्तार कर लिया गया।
करो या मरो का नारा किस आंदोलन के दौरान दिया गया था?
करो या मरो का नारा भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दिया गया था। 8 अगस्त 1942 ईं. को महात्मा गांधी ने अग्रेजों के खिलाफ भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की थी।
सामूहिक नागरिक अवज्ञा आंदोलन ” करो या मरो ” के शुरू होने के बाद सुभाष चंद्र बोस, कलकत्ता में ब्रिटिश नजरबंदी से निकल कर विदेश पहुंच गए और ब्रिटिश राज को भारत से उखाड़ फेकने के लिए एक इंडियन नेशनल आर्मी ( Indian National army) का गठन किया जो आजाद हिन्द फौज के नाम से भी जाने जाते हैं।
महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा क्यों दिया ?
जब हमारा भारत ब्रिटिश सरकार के अधीन (गुलाम) था तब अंग्रेजी सरकार भारत के लोगो को बहुत ही तंग, परेशान किया करते थे।
अपने अनुशार कोई काम करवाते थे। यदि कोई व्यक्ति काम नहीं करता था तो उनको बहुत ही दर्दनाक मौत दिया जाता था। जिनके कारण भारत के आम आदमी ब्रिटिश सरकार से डरने लगे थे।
किसी में इतना दम नहीं था की वह उनके खिलाफ कुछ भी बोल सकते, कुछ ऐसे दमदार नेता थे जो अग्रेजों के खिलाफ आते थे उनमे बहुत सारे नेता थे जैसे की महात्मा गाँधी, सुभाष चंद्र बोस और अन्य महात्मा गांधी ने लोगो के अंदर बने डर को दूर करने के लिए करो या मरो का आंदोलन शुरू किया।
और उनका कहना था की हमें अग्रेजों से डरना नहीं चाहिए। हमें कुछ करना हैं यदि कोई अग्रेजों के खिलाफ नहीं जाता हैं तो उसे मर जाने के बराबर हैं।
इसीलिए महात्मा गाँधी ने करो और मरो का नारा दिया ताकि लोगों में नया उत्साह जाग सके।
शायद अभी आप समझ चुके होंगे की karo ya Maro ka nara kisne Diya था ! अब महात्मा गाँधी के द्वारा दिया गए अन्य नारों के बारे में पताकरे जो काफी लोकप्रिय है
महात्मा गाँधी के द्वारा दिया गया अन्य नारे
- भारत छोड़ो
- करो या मरो
- जहाँ प्रेम हैं वहाँ जीवन हैं
- भगवान का कोई धर्म नहीं हैं
- जहाँ पवित्रता है, वहीँ निर्भयता हैं।
- मेरा जीवन मेरा सन्देश हैं
- दिल की कोई भाषा नहीं होती
- ख़ुशी वही हैं जहाँ आपकी सोच।
- जो समय की बचत करते हैं, वे धन की बचत करते हैं और बचाया हुआ धन कमाए हूँ धन के बराबर हैं।
महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ?
- जन्म – 2 अक्टूबर 1869 ईं. (गुजरात)
- मृत्यु – 30 जनवरी 1948 ईं.
- पूरा नाम – मोहनदास करमचंद गाँधी
- पत्नी का नाम – कस्तूरबा गांधी
- बच्चों के नाम : हरिलाल गांधी, मणिलाल गांधी, देवदास गांधी, रामदास गांधी
FAQ: karo ya Maro ka nara kisne Diya
सवाल : करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी ने कब दिया था?
जबाब : करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी 1942 ईं. में दिया था।
सवाल : महात्मा गाँधी का क्या नारा था?
जबाब : करो या मरो, भारत छोड़ो और बहुत कुछ जो ऊपर विस्तार से बताया गया हैं।
सवाल : गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन कब तक चलाये?
जबाब : गाँधी जी ने 1920 से लेकर 1922 तक असहयोग आंदोलन चलाये उनके बाद सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की।
सवाल : गाँधी जी ने खेड़ा सत्याग्रह कब शुरू किये?
जबाब : 1918 ईं. में
अंतिम शब्द
उम्मीद है karo ya Maro ka nara kisne Diya यह आप को पता चला होगा | इसके अलवा इस लेख में हम ने महात्मा गांधी के अन्य नारों के बारे में भी अधिक जानकारी देने की कोशिश की है |
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