पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे : आजकल महिलाएं स्वस्थ रहने के लिए कई तरह की दवाइयां या फूड आइटम्स का सेवन करती है। ऐसे में अगर आपको नेचुरली स्वस्थ रहना है तो, दशमूलारिष्टम का सेवन कर सकते हो।
देखा जाए तो दशमूलारिष्टम एक आयुर्वेदिक औषधि टॉनिक है और इसीलिए इसका सेवन करने से महिलाओं की कई स्वास्थ्य से संबंधित समस्या हल हो जाती हैं।
आज के इस लेक में Periods ke liye dashmularishta ke fayde Kya hai ? इस बारे में जानकारी प्रदान गई हैं।
साथ ही, पीरियड्स में होने वाली तकलीफ इस टॉनिक से किस तरह राहत दे सकती है, इसके बारे में भी जानकारी देने का प्रयास किया गया है
यदि आप भी पीरियड्स से जुड़ी परेशानियों को दूर करने के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे की जानकारी खोज रहे है तो आप एकदम सही जगह आये है जहा हम आप को दशमूलारिष्ट के बारे में पूरी जानकारी विस्तार में प्रदान करने की कोशिश की है
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पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे
देखजाये तो पीरियड्स में दशमूलारिष्ट के फायदे बहुत सारे हैं। दशमुलारिष्ट सही समय और सही तरीके से लिया जाए तों, समय से पहले मेनोपॉज, महावीर की नियमित, पाचन तंत्र, को भी बेहतर बनाने में मदद करता है।
इसके अलावा भी महिलाओं के लिए दशमूलारिष्ट का सेवन करना सेहत के लिए लाभदायक साबित होता है। आज इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे। शुरुआत में जानते हैं कि दशमूलारिष्ट क्या है? और इसे का सेवन कैसे करें?
दशमूलारिष्ट, जिसे दशमूलारिष्टम भी कहा जाता है, यह एक आयुर्वेदिक सूत्रीकरण है जिसमें ५० से अधिक जड़ी-बूटियों के साथ-साथ दस जड़ी-बूटियों की जड़े भी शामिल है जिन्हें दशमूल के नाम से जाना जाता है।
इसे स्वास्थ्य टॉनिक के रूप में व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद विभिन्न हर्बल सामग्रियों से बना एक किण्वित तरल पदार्थ है।
दशमूलारिष्ट महिलाओं के स्वास्थ्य के लिए एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक टॉनिक है। इसका उपयोग प्रसव के बाद की कमजोरी से राहत पाने के लिए भी किया जाता है।
दशमूलारिष्ट प्रसवोत्तर महिलाओं को ताकत प्रदान करता है और गर्भाशय को सामान्य आकार और आकृति वापस पाने में मदद करता है। यह महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य और महिला प्रजनन प्रणाली पर अपने लाभों के लिए भी प्रसिद्ध है
देखजाये तो दशमूलारिष्ट गर्भाशय में मौजूद मांसपेशियों को मजबूत करता है, जिससे बेहतर मासिक स्राव के लिए गर्भाशय संकुचन में मदद मिलती है
आयुर्वेद में भी, कई चिकित्सक प्रसव के बाद की जटिलताओं के प्रबंधन और हार्मोन को बहाल करने के लिए दशमूलारिष्ट का सुझाव देते हैं, जो अपने वात संतुलन और बल्य (शक्ति प्रदाता) गुणों के कारण महिलाओं के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करता है।
दशमूलारिष्ट से पीरियड्स प्रॉब्लम्स को करे दूर
आज भी कई महिलाओं को अनियमित पीरियड्स या महावीर के दौरान पेट दर्द, ज्यादा ब्लीडिंग या ब्लड क्लॉट का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी यह दर्द असहनीय हो जाता है।
काफी महिलाएं इसे नजरअंदाज करती है लेकिन ऐसा करना गलत है, ऐसे में आप, आप के डॉक्टर से बात कीजिए वह आपको सही राय दे सकते हैं।
आपको बता दें, अगर आप दशमूलारिष्ट का सेवन करते हैं तो, महावीर से जुड़ी लगभग हर समस्या से आपको राहत मिल सकती है।
दशमूलारिष्ट एक नेचुरल पेन रिलीव की तरह है। इसीलिए महिलाओं के लिए पीरियड्स हो या प्रेगनेंसी यह दवा लाभदायक साबित हुई है।
जब महिलाएं दशमूलारिष्ट का सेवन करती है तो उनको पीरियड्स में काफी तकलीफ से राहत मिलती है। साथ ही डिलीवरी के बाद भी महिलाओं ने इसका सेवन करना चाहिए।
क्योंकि शरीर में होने वाली कमजोरी इससे दूर हो सकती है और इसके अलावा स्तनपान करने वाली महिलाओं के दूध में वृद्धि भी होती है।
अनियमित पीरियड्स की समस्या का सामना कर रहे हो तो दशमूलारिष्ट का सेवन करने से समय पर पीरियड्स आ सकते हैं और आपका ब्लड फ्लो भी ठीक हो सकता है।
अगर पीरियड्स में आपका पेट दर्द होता है, तो यह पीने से पेट का दर्द आसानी से दूर होता है। क्योंकि इसमें दर्द निवारक गुण पाए जाते हैं जो पेट की सूजन भी दूर करती है।
दशमूलारिष्ट एक प्राकृतिक और सुरक्षित उपाय है इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। जो महिलाएं इस टॉनिक को नियमित रूप से लेती हैं, उनके मासिक धर्म चक्र में सुधार होता है, मासिक धर्म के दौरान दर्द और परेशानी कम होती है और ऊर्जा का स्तर भी बढ़ता है।
और तो और यह टॉनिक उन महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है जो हार्मोनल असंतुलन, पीसीओएस और अन्य मासिक धर्म संबंधी विकारों से पीड़ित हैं।
मासिक धर्म स्वास्थ्य के लिए इसके लाभों के अलावा, दशमूलारिष्ट को पाचन तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालने के लिए भी जाना जाता है।
यह पाचन में सुधार, सूजन को कम करने और कब्ज को कम करने में मदद कर सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि टॉनिक में जड़ी-बूटियों का मिश्रण होता है जिसमें सूजन-रोधी और ऐंठन-रोधी गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को शांत कर सकते हैं और स्वस्थ मल त्याग को बढ़ावा दे सकते हैं।
इसलिए दशमूलारिष्ट के नियमित सेवन से महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य और खुशहाली में सुधार हो सकता है। इसके अलावा भी दशमूलारिष्ट के महिलाओं के लिए की ज्यादा लाभदायक है आगे हमने उसी बारे में बताने का प्रयास किया हैं।
दशमूलारिष्ट के फायदे, उपयोग, लाभ
1. प्रसवोपरांत महिलाओं का सामान्य स्वास्थ्य बहाल करना
प्रसवोत्तर महिलाओं के सामान्य स्वास्थ्य को बहाल करने के लिए दशमूलारिष्ट का उपयोग प्रसवोत्तर (प्रसव के ठीक बाद की अवधि) में किया जाता है।
प्रसवोत्तर लक्षणों जैसे थकान, अनिद्रा, भूख न लगना और तीव्र चिड़चिड़ापन से छुटकारा पाने के लिए, दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
2. मासिक दर्द / पीरियड का दर्द
मेडिकल शब्दावली पीरियड के दर्द को डिसमेनोरिया कहा जाता है। यह मासिक धर्म के दौरान या उससे पहले होने वाला दर्द या ऐंठन है।
आयुर्वेद में इस स्थिति को कष्ट-आर्तव के नाम से जाना जाता है। आयुर्वेद के अनुसार, आर्तव या मासिक धर्म वात दोष द्वारा नियंत्रित और नियंत्रित होता है। इसलिए, कष्टार्तव को प्रबंधित करने के लिए वात को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है।
पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे के बारे में बात की जाए तो इस में वात संतुलन गुण होता है जो कष्टार्तव में राहत देता है। यह बढ़े हुए वात को नियंत्रित करता है और मासिक धर्म चक्र के दौरान पेट दर्द और ऐंठन को कम करता है।
कष्टार्तव के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
3. रूमेटोइड गठिया (आरए) (Rheumatoid Arthritis (RA)
रूमेटॉइड आर्थराइटिस (आरए) को आयुर्वेद में आमवात के नाम से जाना जाता है। अमावत एक ऐसी बीमारी है जिसमें वात दोष बढ़ जाता है और जोड़ों में अमा (पाचन क्रिया ठीक से न होने के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष) जमा हो जाता है।
अमावत की शुरुआत कमजोर पाचन अग्नि से होती है और अमा का निर्माण होता है। अमावत की शुरुआत कमजोर पाचन अग्नि से होती है और अमा का निर्माण होता है
यह वात के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाया जाता है। यह अमा शरीर में अवशोषित होने के बजाय जोड़ों में जमा हो जाता है।
दशमूलारिष्ट लेने से अमा को कम करने में मदद मिलती है और इसके वात संतुलन और अमा पचना (पाचन) गुणों के कारण वात नियंत्रित होता है। ये गुण रुमेटीइड गठिया जैसे जोड़ों के दर्द और सूजन के लक्षणों में राहत देते हैं।
संधिशोथ के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
4. पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस
आयुर्वेद के अनुसार, ऑस्टियोआर्थराइटिस वात दोष के बढ़ने के कारण होता है और इसे संधिवात के नाम से जाना जाता है। इससे दर्द, सूजन और जोड़ों की गतिशीलता कम हो जाती है।
दशमूलारिष्ट में वात संतुलन और सूजनरोधी गुण होते हैं जो जोड़ों में दर्द और सूजन जैसे ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों से राहत देते हैं।
ऑस्टियोआर्थराइटिस के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
5. थकावट / थकान महसूस होना
दशमूलारिष्ट दैनिक जीवन में थकान को प्रबंधित करने के लिए उपयोगी है। थकान से तात्पर्य थकावट, कमजोरी या ऊर्जा की कमी की भावना से है।
आयुर्वेद के अनुसार, थकान को क्लामा कहा जाता है जो कफ दोष में असंतुलन के कारण होता है। दशमूलारिष्ट अपने बल्य (शक्ति प्रदाता) और कफ संतुलन प्रकृति के कारण थकान के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।
थकान के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
6. अपचन / बदजमी
आयुर्वेद के अनुसार अपचन को अग्निमांद्य कहा गया है। यह पित्त दोष के असंतुलन के कारण होता है। जब भी ग्रहण किया गया भोजन मंद अग्नि (कम पाचन अग्नि) के कारण बिना पचे रह जाता है, तो इसके परिणामस्वरूप अमा (अनुचित पाचन के कारण शरीर में विषाक्त अवशेष) का निर्माण होता है और अपचन का कारण बनता है।
दशमूलारिष्ट अग्नि को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे इसके दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पचन (पाचन) गुणों के कारण पाचन में सुधार होता है।
अपचन, बदजमी के लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए दशमूलारिष्ट कब और कैसे ले?
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- इस मिश्रण को दिन में एक या दो बार खाना खाने के बाद लें
FAQs : पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे
सवाल : दशमूलारिष्ट किससे बना है
बेल, गोक्षुर, कंटकारी, शालपर्णी, लोध्र, चित्रक, गिलोय, आंवला, खादिर, हरड़, बहेड़ा, पुनर्नवा, मंजिष्ठा, देवदारु, विडंग, लिकोरिस, जटामांसी, जीरा, अनंतमूल, निसोथ, रास्ना, पिप्पली, हल्दी, पद्मक, नागकेसर, जीवक, नागरमोथा, कुटज, करकटश्रृंगी, तगर, मुनक्का, धातकी, चंदन, इलायची, तेजपत्ता, लौंग, गुड़, शहद
सवाल : दशमूलारिष्ट का उपयोग कैसे करें
- १५ मिलीलीटर से २० मिलीलीटर दशमूलारिष्ट या चिकित्सक के निर्देशानुसार लें
- इसे समान मात्रा में गुनगुने पानी के साथ मिलाएं
- बेहतर स्वास्थ्य के लिए दिन में एक या दो बार भोजन करने के बाद इस मिश्रण का सेवन करें
सवाल : क्या दशमूलारिष्ट में अल्कोहल होता है
दशमूलारिष्ट/दशमूलारिष्टम एक आयुर्वेदिक टॉनिक या मिश्रण है जो औषधीय जड़ी-बूटियों को किण्वित करके तैयार किया जाता है। हालाँकि, इसमें लगभग ५% से अधिक अल्कोहल होता है, लेकिन १०% से अधिक नहीं, जो समय की अवधि में तैयारी में स्वयं उत्पन्न होता है।
सवाल : क्या दशमूलारिष्ट का सेवन करना सुरक्षित है
हाँ, इसका सेवन करना सुरक्षित है। हालाँकि, यदि आप मधुमेह रोगी हैं या किसी अन्य दवा से पीड़ित हैं, तो इनका सेवन करने से पहले डॉक्टर से पर्मिशन लें
सवाल : क्या दशमूलारिष्ट पीसीओएस या पीसीओडी के लिए अच्छा है
पीसीओएस या पीसीओडी के इलाज में इसका सीधा प्रभाव बताने के लिए पर्याप्त वैज्ञानिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालाँकि, यह पीसीओएस या पीसीओडी के कुछ सामान्य लक्षणों जैसे विलंबित या अनियमित मासिक धर्म को ठीक करने में मदद कर सकता है।
सवाल : दशमूलारिष्ट के नुकसान क्या है
यदि इसके नुकसान की बात करे तो सीने की जलन, मुंह में छाले, प्यास ज्यादा लगना, जलन के साथ दस्त, पेट में जलन जैसे कुछ नुकसान शरीर में पाए जाते है इसीलिए डॉक्टर की सलाह से दशमूलारिष्ट का सेवन करना चाहिए
Conclusion
दशमूलारिष्ट शक्तिशाली औषधीय गुणों से भरपूर है जो इसे मासिक धर्म संबंधी विकारों के लिए एक उत्कृष्ट इलाज बनाता है।
जैसे के हमने बताया दशमूलारिष्ट दर्दनाक पीरियड्स या मासिक धर्म में ऐंठन (कष्टार्तव) के मामलों में हल्के से मध्यम दर्द से राहत दिलाने में उपयोगी है।
पीरियड्स के दौरान दर्द शरीर के भीतर प्रोस्टाग्लैंडिंस नामक हार्मोन जैसे रसायनों की उपस्थिति के कारण होता है। इसी कारण शरीर में प्रोस्टाग्लैंडीन के स्तर में वृद्धि से अधिक गंभीर दर्द होता है।
हमे उम्मीद है पीरियड्स के लिए दशमूलारिष्ट के फायदे इस लेख में आपको आपके हर सवाल का जवाब मिला होगा। अगर आप भी पिरियड्स में शरीक समस्याओं से जूझ रहे हो, तो दशमूलारिष्ट जरूर ले।
लेकिन यह लेने से पहले डॉक्टर की सलाह लेना न भूले। आज के लेख की जानकारी अगर आपको महत्वपूर्ण लागि होगी तो, आपके मित्रों के साथ भी यह आर्टिकल जरूर शेर करना। लेख अंत तक पढ़ने के लिए आपका शुक्रिया।