गर्भ में जीव कब आता है – Garbh me jeev kab aata Hai

गर्भ में जीव कब आता है : अगर इंसान को भगवान के द्वारा बनाया गया एक चमत्कार कहा जाए तो इसमें कोई भी संसय नहीं है क्योंकि मनुष्य की उत्पत्ति का सवाल भी बहुत ज्यादा रहस्यमई है और इसके बारे में कोई नहीं जानता कि मनुष्य की उत्पत्ति इस धरती पर कैसे हुई थी

हम सभी एक बात तो जरूर जानते हैं कि इस धरती पर मनुष्य की उत्पत्ति करने के लिए मनुष्य की ही आवश्यकता होती है और साथ ही एक स्त्री और एक पुरुष के मिलन द्वारा ही इंसान की उत्पत्ति की कल्पना की जा सकती हैं,

हजारों लाखों वर्षों से इंसानों की पीढ़ियां इसी प्रकार की प्रक्रियाओं द्वारा आगे बढ़ रही हैं अर्थात की एक मादा और एक नर के निषेचन के पश्चात ही एक मनुष्य का जन्म होता है

आज के इस लेख में हम यही सब देखने वाले हैं अर्थात कि हम चर्चा करने वाले हैं Garbh me jeev kab aata Hai और साथ ही मानव शरीर में वह कौन से परिवर्तन हैं, जिनके द्वारा एक मनुष्य का निर्माण होता है,

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि मानव शरीर एक बहुत ही ज्यादा आंतरिक जटिल संरचना वाला है और इसे समझने के लिए आपको बहुत ज्यादा खोज की आवश्यकता होती है

हालांकि आज सभी प्रकार की तकनीकों द्वारा इसे समझना बहुत ही आसान है परंतु आज भी कई ऐसे मानव शरीर के रहस्य हैं,

जिन्हें समझ पाना मेडिकल साइंस के भी बस में नहीं है इन्हीं सब रहस्यों के अंदर शामिल हैं एक रहस्य की मानव शरीर के अंदर मानव शरीर की उत्पत्ति कैसे होती हैं

हालांकि आज यह कोई बहुत बड़ा रहस्य नहीं है, परंतु आज से हजारों वर्षों पहले जब इस प्रकार से मानव की उत्पत्ति हुई थी तो यह शायद एक बहुत ही बड़ा रहस्य रहा होगा परंतु आज के इस हमारे विषय में हम देखने वाले हैं कि गर्भ में जीव की उत्पत्ति कैसे होती हैं

 

गर्भ में जीव कब आता है
गर्भ में जीव कब आता है

 

गर्भ में जीव कब आता है – Garbh me jeev kab aata Hai

आज शायद इस बात से हर कोई परिचित होगा कि जब एक पुरुष और महिला का मिलन होता है तो उसके फल स्वरुप ही किसी मनुष्य की उत्पत्ति होती है अर्थात की किसी भी मनुष्य की उत्पत्ति होने के लिए जो दो महत्वपूर्ण कारक है,

वह हैं पुरुष और स्त्री, जब इन दोनों द्वारा निषेचन की प्रक्रिया की जाती है तो उसके द्वारा ही एक मानव की उत्पत्ति निर्मित होती है और इसके लिए एक बहुत बड़ी प्रक्रिया भी उत्तरदाई रहती हैं

आमतौर पर गर्भधारण करने के लिए महिलाओं द्वारा उपयुक्त समय उनकी महावरी के 15 दिनों के अंदर होता है अर्थात की उन 15 दिनों के अंदर यदि किसी पुरुष द्वारा उनके साथ निषेचन किया जाता है तो वे गर्भधारण करती हैं

आपने यदि थोड़ी बहुत भी विज्ञान पड़ी हैं और उसमें भी यदि आपने जीव विज्ञान का अध्ययन किया है तो आपको यह सारी प्रक्रिया पता होगी कि स्त्री शरीर के अंदर किस प्रकार से गर्भ का निर्माण होता है और किस प्रकार से एक बच्चे का जन्म होता है

स्त्री शरीर के अंदर महावारी की शुरुआत के समय लाखों-करोड़ों अंडाणु उत्पन्न होते हैं और यदि उनका निषेचन किसी भी शुक्राणु के साथ ना हो तो वह खुद ही नष्ट हो जाते हैं और महिलाओं के शरीर से बाहर निकल जाते हैं जिसे की अंग्रेजी में पीरियड्स कहा जाता है

इसी पीरियड की अवधि के दौरान जो कि आमतौर पर ज्यादा से ज्यादा 8 दिन की होती है उसके बाद 15 दिन के अन्दर यदि किसी महिला द्वारा किसी पुरुष के साथ संभोग कर लिया जाए तो पुरुष के शरीर के द्वारा उत्पन्न शुक्राणुओं का महिला के शरीर में उत्पन्न अंडाणु से मिलन होने पर ही गर्भधारण होता है

परंतु यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उस पुरुष के शुक्राणु क्या उस महिला के अंडाणु के साथ निषेचित हुए हैं या नहीं क्योंकि आप सभी जानते हैं कि शुक्राणुओं की संख्या बहुत अधिक होती हैं और इतने लाखों-करोड़ों शुक्राणुओं में से मात्र एक शुक्राणु ही जाकर गर्भाशय की ग्रीवा में प्रवेश कर पाता है

अगर वह शुक्राणु उस महिला के अंडाणु के साथ निसेचित नहीं होता है तो गर्भधारण की कोई भी संभावना नहीं बनती है और ना ही गर्भ में जीव आता है,

पुरुष के शरीर में सदैव शुक्राणु वीर्य के रूप में मौजूद रहते हैं और इनके बनने की प्रक्रिया भी लगातार चलती रहती है और साथ ही साथ इनके नष्ट होने की प्रक्रिया भी लगातार कार्यरत रहती है

परंतु अगर वही बात की जाए स्त्री शरीर की तो उनमें सदैव अंडाणु की संख्या इस तरह विद्यमान नहीं होती है अर्थात कि केवल महावरी के समय के बाद ही वह गर्भधारण की स्थिति में रहती हैं

क्योंकि उसी समय उनके अंडाणुओ का सखलन होता है और जैसा कि हम सभी जानते हैं कि गर्भधारण करने के लिए अंडाणु का होना कितना आवश्यक है क्योंकि उनके बिना शुक्राणुओं का निश्चित होना लगभग असंभव है

इस प्रकार से निषेचन होने के उपरांत एक शुक्राणु जाकर अंडाणु के साथ निश्चत हो जाता है और महिला के शरीर में उस जीव का बनना शुरू हो जाता है परंतु प्रारंभिक अवस्था में वह केवल एक कोशिका के रूप में महिला के शरीर में विद्यमान रहता है

अगर बात की जाए संपूर्ण रुप से गर्भ मे जीव कब आता है तो वह गर्भधारण के छठवें महीने में होता है अर्थात कि गर्भधारण के 6 माह पूरे होने के पश्चात मानव की आकृति में महिला के गर्भ में वह बच्चा पलता है

इसलिए इसे समझने से पहले हमें यह समझना जरूरी है कि गर्भ में जीव कैसे बनता है अर्थात की गर्भधारण की प्रक्रिया क्या होती है

अतः इस प्रकार से इस पूरी जटिल प्रक्रिया के द्वारा गर्भ में जीव उत्पन्न होता है और गर्भ में जीव बनता है,

धीरे-धीरे जब गर्भधारण के महीने बढ़ते हैं तो इन महीनों के बढ़ने के साथ ही महिला के शरीर में जो शिशु पल रहा है उसका शारीरिक विकास भी बहुत ही तेज गति से होने लगता है और उसके सभी अंग भी बहुत ज्यादा तेज गति से विकसित होने लगते हैं


गर्भधारण कब होता है – Garbhdharan kab hota hai

 

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यदि आपने गर्भ में जीव कब आता है इस संपूर्ण प्रक्रिया को समझ लिया है तो अब शायद आपको गर्भधारण कब होता है इस जटिल प्रक्रिया को समझने में बहुत ज्यादा आसानी होगी

गर्भधारण की प्रक्रिया के लिए हम जानते हैं कि एक पुरुष और स्त्री द्वारा संभोग किया जाना जरूरी है और इसके बिना कोई भी स्त्री गर्भधारण नहीं कर सकती हैं

गर्भधारण करने के लिए स्त्री के अंडाणुओं का किसी पुरुष के शुक्राणु के साथ निषेचन होना जरूरी है अर्थात कि यदि महिला के अंडाणु का मिलन पुरुष के शुक्राणु के साथ नहीं होगा तो गर्भधारण नहीं किया जा सकता अगर कोई महिला गर्भधारण करना चाहती है तो उसे अपने पीरियड्स आने के बाद 15 दिनों के भीतर जब उसके शरीर में से अंडाणु स्त्रावित होते हैं उस समय किसी पुरुष के साथ संभोग करना आवश्यक है

इस अवधि के दौरान यदि किसी महिला द्वारा किसी पुरुष के साथ संभोग किया जाता है तो पुरुष के शरीर में मौजूद लाखों करोड़ों शुक्राणुओं में से एक शुक्राणु जाकर उस महिला के अंडाणु में अपनी जगह बना लेता है

और वहां पर फ़र्टिलाइज़ हो जाता है  इस प्रकार से एक बार यदि कोई शुक्राणु, अंडाणु में जाकर फर्टिलाइज हो जाए तो सात से आठ हफ्तों बाद वह एक मानव शरीर की आकृति में ढलना शुरू हो जाता है और उस बच्चे के शारीरिक अंगों का निर्माण भी शुरू होना आरंभ हो जाता है


गर्भ में जीव कब प्रवेश करता है – Garbh main Baccha kab Banta Hai

आप शायद यह सोच रहे होंगे कि यह कैसा प्रश्न है कि गर्भ में जीव का प्रवेश कब होता है या फिर गर्भ में जीव कब आता है क्योंकि हम जानते हैं कि एक बार शुक्राणु का यदि किसी महिला के अंडाणु के साथ निषेचन हो जाए तो महिला के गर्भाशय में वह जीव बन जाता है

परंतु ऐसा नहीं है जब किसी पुरुष के शुक्राणु का निषेचन किसी महिला के अंडाणु में हो जाता है, तब सीधे ही कोई बच्चा नहीं बनता है और ना ही उसे मानव की आकृति प्राप्त होती है

जब सबसे पहले पुरुष के शुक्राणुओं का मिलन महिला के अंडाणु के साथ होता है और वह शुक्राणु महिला के गर्भ में फर्टिलाइज हो जाता है तो एक कोशिका का निर्माण होता है

जब यह एक कोशिका बन जाती हैं तो इसके बनने के कुछ समय पश्चात ही बहुत सारी कोशिकाओं का निर्माण भी धीरे-धीरे होने लग जाता है और जब यह बहुत सारी कोशिकाएं बन जाती हैं तो इसे ऊतक कहा जाता है और यही ऊतक आगे  चलकर किसी भी अंग का निर्माण करने के लिए उत्तरदाई होते हैं

इस प्रकार से बहुत सारी कोशिकाएं मिलकर ऊतकों का निर्माण करती है और बहुत सारे ऊतक आपस में मिलकर किसी भी अंग का निर्माण करते हैं

और धीरे-धीरे इस प्रकार से बहुत सारे ऊतक आपस में मिलते हुए मानव शरीर के लगभग सभी प्रकार के अंगो का निर्माण कर देते हैं और गर्भधारण के छठवें माह में संपूर्ण रूप से मानव आकृति में स्त्री के गर्भ में बच्चा पल रहा होता है


गर्भधारण के लिए कौन सा समय अच्छा रहता है

गर्भधारण करने के लिए अगर आपके द्वारा विचार किया जा रहा है तो आमतौर पर गर्भ धारण करने का सही समय महावरी के बाद 15 दिनों के भीतर का होता है क्योंकि इसी समय स्त्री शरीर के अंदर से अंडाणुओ का जन्म होता है

इस दौरान महिला में ओव्यूलेशन का समय भी होता है अर्थात की महिला के शरीर में जो फैलोपियन ट्यूब होती है,वहां से अंडाणु का निर्माण होता है अर्थात की अंडाणु निकलते हैं और यदि इसी समय उन्हें कोई शुक्राणु मिल जाए तो वह गर्भधारण का निर्माण कर देते हैं

जब किसी भी पुरुष के शुक्राणु किसी महिला के अंडाणु के साथ निषेचित होते हैं तो इसे प्रत्यारोपण कहा जाता है और इस दौरान महिला को थोड़ी सी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है जैसे कि कुछ मात्रा में रक्त का आना या फिर गर्भधारण के समय दर्द होना

इस प्रकार से गर्भधारण करने के लिए ओव्यूलेशन का समय ही सबसे सही रहता है और यदि इस समय से 1 सप्ताह पूर्व किसी महिला और पुरुष द्वारा संभोग कर लिया जाए तो उचित रूप से गर्भधरण किया जा सकता है


गर्भ में जीव के अंग कब विकसित होते हैं

आप शायद सोच रहे होंगे कि यदि किसी महिला द्वारा एक बार गर्भधारण कर लिया जाए तो उसके तुरंत बाद ही उसके गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों का विकास शुरू हो जाता है

परंतु ऐसा नहीं है, इन अंगों का विकास उस महिला के गर्भ धारण के महीनों के ऊपर निर्भर करता है क्योंकि जिस प्रकार से महीने बढ़ते जाते हैं तो उस महिला के गर्भ में पल रहे शिशु के अंगो का निर्माण भी होता जाता है

गर्भधारण के नौवें महीने के आते आते उस महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के लगभग सभी महत्वपूर्ण अंगों का निर्माण पूर्ण रूप से हो चुका होता है और आठ माह में वह बच्चा अपना सिर भी घुमाने लगता है और आंखे भी बंद करने लगता है।

 

FAQs – Baccha Kaise Banta Hai

सवाल: गर्भ में जीव कब आता है

गर्भधारण के छठवें माह में गर्भ में जीव आता है

सवाल:  गर्भधारण करने के लिए सबसे अच्छा समय कौन सा है

गर्भधारण करने के लिए सबसे अच्छा समय पीरियड से पहले का समय है

सवाल:  किसी महिला के द्वारा गर्भधारण कैसे किया जाता है

अगर किसी पुरुष का शुक्राणु किसी महिला के अंडाणु में निश्चित हो जाए तो उस महिला द्वारा गर्भ धारण कर लिया जाता है

सवाल: गर्भावस्था की अवधि आमतौर पर कितनी होती है

गर्भावस्था की अवधि आमतौर पर 8 महीने से लेकर 9 महीने तक की होती हैं

सवाल:  अगर 9 महीने से पूर्व किसी शिशु का जन्म हो जाए तो ऐसी डिलीवरी को क्या कहा जाता है

इस प्रकार की डिलीवरी को प्रीमेच्योर डिलीवरी कहा जाता है।

 

Conclusion

इस लेख में आप गर्भ में जीव कब आता है के बारे में जाना आशा करते है | आप Garbh me jeev kab aata Hai जैसे महत्वपूर्ण विषय की पूरी जानकारी जान चुके होंगे।

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