Lymphocytes meaning in Hindi : लिम्फोसाइट्स श्वेत रक्त (white blood cells) कोशिका का ही एक प्रकार है
श्वेत रक्त कोशिका को लयूकोसाईट (leucocytes) भी कहते है, तथा जहाँ भी Cyte शब्द का प्रयोग होता है
इसका मतलब Cell अर्थात कोशिकओं से होता है, श्वेत इसलिए बोला गया है क्योंकि इनका कोई रंग नही होता है अर्थात यह रंगहीन होती है
ये 13 से 20 दिन तक जीवित रह सकती है उसके बाद यह खुद ही नष्ट हो जाती है और नई कोशिकाएं बन जाती है
हर शरीर में ये लगभग 4000 से 10,000 के बीच में हो सकती है, हर शरीर में श्वेत रक्त कोशिका की संख्या अलग होती है पर यह लगभग 4000 से 10,000 के बीच में ही होनी चाहिए
आज के लेख में हम विस्तार में Lymphocytes Meaning in Hindi और लिंफोसाइट्स कैसे काम करता है के बारे में जानने वाले है
तो आपको सब से पहले आप को बता दे अगर आपको कोई बीमारी होती है मतलब अगर आपके शरीर पर कोई वायरस उपलब्ध है तो आपके खून में मौजूद जो रक्त कोशिकाए होती है वह उस वायरस या उस बीमारी को खत्म कर देती है.
लेकिन कभी-कभी हमारी रक्त कोशिकाओं किसी वायरस को या फिर बैक्ट्रिया को मारने में असफल रहती है
या फिर वह उस वायरस को ख़त्म करने में असमर्थ या फिर उसे समझ नहीं आता कि इसे कैसे लड़ा जाए तब उस स्थिति में उस बैक्टीरिया या वायरस से लड़ने के लिए लिंफोसाइट्स काम करता है
अनुक्रम
Lymphocytes meaning in Hindi – लिम्फोसाइटों की जानकारी

इस लेख में हम Lymphocyte के बारे में सभी जानकारी प्राप्त करने वाले है जैसे की:
- Lymphocyte Ke Prakar
- Lymphocyte kya hai
- Lymphocyte ke fayade/ Nuksan
- Lymphocytes high / low / upchar/ Tablets and more
श्वेत रक्त कोशिकाएं के प्रकार (Types of white blood cells)
श्वेत रक्त कोशिकाएं दो प्रकार की होती है
- ग्रनुलोसाईट (granulocyte)
- अग्रनुलोसाईट(agranulocyte)
- ग्रनुलोसाइट
इनके कोशिकाओं में ग्रनुल उपस्थित होते है
ग्रनुलोसाइट के प्रकार (Types of Granulocyte)
यह तीन प्रकार की होती है
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बेसोफिल(basophil)
ये श्वेत कोशिकाओं में 1% तक होती है तथा ये 12 से 15 दिन तक जीवित रहती है
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नयूट्रोफिल(neutrophil)
ये श्वेत कोशिकाओं में 50% से 70% तक होती है तथा ये 7 से 12 दिन तक जीवित रहती है
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एओसिनोफिल(eosinophil)
ये श्वेत कोशिकाओं में 1% से 4% तक होती है तथा ये 12 से 15 दिन तक जीवित रहती है
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अग्रनुलोसाईट(agranulocyte)
इनमे ग्रनुल नही पाए जाते इनका कोशिका द्रव एकदम साफ़ होता है
अग्रनुलोसाईट के प्रकार (Types of agranulocyte)
यह दो प्रकार की होती है
- मोनोसाईट(monocyte)
- लिम्फोसाइट(lymphocyte)
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मोनोसाईट(monocyte)
ये श्वेत कोशिकाओं में 2% से 8% तक होती है तथा ये 2 से 5 दिन तक जीवित रहती है
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लिम्फोसाइट(lymphocyte)
ये श्वेत कोशिकाओं में 20% से 40% तक होती है तथा ये 1 दिन तक जीवित रहती है
श्वेत रक्त कोशिकाएं तथा लाल रक्त कोशिकाएं कहाँ पर बनती है
श्वेत रक्त कोशिकाएं तथा लाल रक्त कोशिकाएं बॉन मेरो (अस्थि मज्जा) में बनते है बॉन मेरो हमारी लम्बी हड्डियों के बीच की जगह होती है वह पे ख़ास तरह के कोशिकाएं होती है जो यह सब बनाती है

श्वेत रक्त कोशिकाएं हमारे शरीर को रोग प्रतिरोधाक क्षमता प्रदान करते है और यह हमारे शरीर को पैथोजन से बचाते भी है
आइए रोग प्रतिरोधक क्षमता क्या होती है तथा कितने प्रकार की होती है इसको जानते हैं
रोग प्रतिरोधक शक्ति ( immunity)
हमारा शरीर बिमारियों से कैसे लड़ता है इसका पता अधिग्रहीत रोग प्रतिरोधक शक्ति से लग जाता है यह वो क्षमता है जो हमने अपने जीवन काल में एकत्रित की है यह हमारे शरीर के अंदर की कुछ रासयिनिक रिएक्शन होती है
रोग प्रतिरोधक शक्ति के दो प्रकार है
1) एक्टिव (active) रोग प्रतिरोधक शक्ति
यह वह एंटीबॉडी होती है जो हमारा शरीर खुद से बनाता है, एक्टिव रोग प्रतिरोधक शक्ति भी दो प्रकार की होती है
नेचुरल और आर्टिफीसियल
2) नेचुरल एक्टिव रोग प्रतिरोधक शक्ति
हमे जो प्राकृतिक बिन्मारियां होती है जैसे चिकन पॉक्स इसमें हमारा शरीर इसे समझता है इससे कैसे लड़ना है यह समझ के एंटीबाडी बनाता है इसे हम एक्टिव नेचुरल अधिग्रहीत रोग प्रतिरोधक शक्ति कहते है
आर्टिफीसियल एक्टिव रोग प्रतिरोधक शक्ति
इन्हें VACCINATION में उपयोग किया जाता है मतलब हम किसी बीमारी या फिर एलर्जी से लड़ने के लिए बाहर से वैक्सीन लगवाते है वैक्सीन में मरे हुए सूक्ष्म जीव होते है
जो हमारे शरीर में जाके हमारे शरीर को होने वाली बीमारी के बारे में जागरूक कर देते है
तथा हमारा शरीर उस बीमारी से बचने के लिए पहले से ही अंटीबॉडी बना लेता है
जिसके कारण जब हम उस बीमारी के संपर्क में आते है तो हमारा शरीर पहले से तैयार रहता है जिसके कारण वह बीमारी हमको नही होती तथा हमारा शरीर उससे लड़ने में शक्षम हो जाता है
पैसिव (passive) रोग प्रतिरोधक शक्ति
यह वह एंटीबॉडी है जिसे हमें हमारे शरीर में बाहर से लेना पड़ता है अर्थात हमारा शरीर इसे नही बनाता
पैसिव नेचुरल रोग प्रतिरोधक शक्ति
यहाँ हमें बने बनाए एंटीबॉडी दिए जाते है यह किसी जानवर के एंटी बॉडी भी हो सकती है
तथा आपने सुना होगा की जब बच्चे का जन्म होता है तब कहा जाता है की उसे माँ का गाढ़ा दूध पिलाए क्योंकि माँ के दूध में रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अधिक होती है
जो बच्चे को बिमारियों से लड़ने में मदद करता है यहाँ पे माँ का गाढ़ा दूध एक पैसिव प्रतिरोधक शक्ति जैसे काम करता है
पैसिव आर्टिफीसियल रोग प्रतिरोधक शक्ति
यह एंटीबॉडी भी हमें बाहर से मिलती है पर यह नेचुरल तरीके से नही बनाई गई होती है इसीलिए हम इसे आर्टिफीसियल एंटी बॉडी बोलते है
जैसे की किसी को साँप ने काट लिया तो यह पता करने के लिए की उसको किस साँप ने काटा है
हम उसे उसको साँप की एंटीबॉडी लगाते है जिससे वह ठीक हो जाता है यह एंटीबाडी बनती कैसे है यह साँप के जगह को किसी जानवर के शरीर में डालते है
तथा उस जानवर से बनी अंटीबॉडी निकाल लेते है इससे हम यह तो जान ही पा रहे है की ये खुदसे नही बने हमने इसको बनने पर मजबूर किया है इसीलिए इन्हें आर्टिफीसियल एंटीबाडी कहा जाता है तथा हम इसे बाहर से लेते है इसीलिए इसको पैसिव एंटीबॉडी कहा जाता है
लिम्फोसाइट हमारे शरीर के कोशिकाओं तथा और बाहर की कोशिकाओं में फर्क करना जानते है इसीलिए ये बाहरी कोशिकाओं को मार देते है जिससे हमारा शरीर सुरक्षित रहे
लिम्फोसाइट के प्रकार (types of lymphocytes in Hindi)
लिम्फोसाइट के तीन प्रकार होते है
- नेचुरल किलर लिम्फोसाइट (NK)
- टी लिम्फोसाइट (T)
- बी लिम्फोसाइट (B)
नेचुरल किलर लिम्फोसाइट (Natural killer lymphocyte in)
यह विभिन्न प्रकार के पैथोजन का तुरंत जवाब देने में सक्षम होती है, यह कोशिकाएं वाइरल से संक्रमित कोशिकाओं को मारने तथा कैंसर के शुरुआती लक्षणों का पता लगाने तथा उन्हें नियंत्रित करने के काम आती है
रोग से बचाव के साथ-साथ यह विशेष कोशिकाओं की अपरा पर पाई जाती है तथा ये गर्भावस्था में विशेष भूमिका निभाती है
टी लिम्फोसाइट (T-lymphocyte)
टी लिम्फोसाइट में “टी” का अर्थ थाइमस (thymus) होता है
हमारी लम्बी हड्डियों के बीच की जगह को बोन मैरो कहते है तथा यहाँ पे उपस्थित कोशिकाओं को स्टेम कोशिका कहते है
तथा यह कोशिका टी कोशिकाओं को बनाते है तथा अभी ये पूरी तरह से तैयार नही होते यह रक्त परिसंचरण के द्वारा थाइमस में पहुच जाता है थाइमस हमारे ह्रदय के पीछे वाले हिस्से में होता है
यहाँ जाके यह कोशिकाएं तैयार होती है तथा उसके बाद उपयोग में जाती है
बच्चो को ज्यादा बिमारियां इसलिए होती है क्योंकि इनके अधिकार टी लिम्फोसाइट थाइमस के अंदर तैयार हो रहे होते है
तथा शरीर को बचाने के लिए ज्यादा टी लिम्फोसाइट उपस्थित नही रह पाते जिसके कारण बच्चे का शरीर ज़ल्दी बीमारी के चपेट में आ जाता है
समय के साथ साथ थाइमस में से कोशिकाएं तैयार हो के शरीर की रक्षा में सज्ज हो जाती है जिसके कारण हमारा शरीर समय के साथ कम बीमार होता है
टी लिम्फोसाइट तैयार होने के बाद ही 4 भागो में विभाजित हो पाते है तैयार होने से पहले इनका कोई विभाजन तथा कोई कार्य नही होता है
टी लिम्फोसाइट के प्रकार (Types of T lymphocytes)
- साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट
- सहायक टी लिम्फोसाइट
- दबानेवाला टी लिम्फोसाइट
- स्मृति टी लिम्फोसाइट
साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट (cytotoxic t lymphocyte)
यह कोशिकाएं बाहर से आई कोशिकाओं को पहचानने में सक्षम होती है तथा यह अपने शरीर की कोशिकाएं और अन्य शरीर की कोशिकाएं में भेद कर पाते है
जब भी बाहर से किसी एंटीजन या पैथोजन का हमला होता है तब यह यह पहचान लेती है की ये कोशिकाएं हमारे शरीर की नही है, बाहर से आई है तब साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट इन कोशिकाओं का नाश करने में अग्रसर हो जाता है, यह अपने शरीर की कोशिकाओं को कोई नुक्सान नही पहुचती है
साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट बाहरी हमलों से शरीर को बचाती है तथा बाहर से आई कोशिकाओं को ख़त्म करने का काम भी करती है
सहायक टी लिम्फोसाइट (Helper T- lymphocyte)
जब भी किसी प्रकार का एंटीजन या पैथोजन हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो सहायक टी लिम्फोसाइट एक तरह का केमिकल या सिगनल भेजते है जिसे हम lymphokines लिम्फोकींस कहते है
लिम्फोकींस में लिम्फो का अर्थ लिम्फोसाइट से है और कींस का अर्थ गति से है अर्थात यह लिम्फोसाइट के अन्य भागों के पास जाके उन्हें मदद के लिए बुलाती है तथा यह सन्देश देती है की हमारे शरीर पर बाहर से हमला हुआ है
सहायक टी लिम्फोसाइट बी लिम्फोसाइट को एंटीबॉडी बनाने का सन्देश देती है तथा साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट को आक्रमण करने के लिए बुलाती है
दबानेवाला टी लिम्फोसाइट (Compressor t lymphocyte)
सहायक टी लिम्फोसाइट और साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट को उनका काम ख़त्म करने के बाद रोकना बहुत ज़रूरी है, उनको रोकने का काम दबानेवाला टी लिम्फोसाइट करता है
यह सहायक टी लिम्फोसाइट और साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट को बताता है की एंटीजन या पैथोजन ख़त्म हो गए है तथा अब शरीर सुरक्षित है अब उनको शांत हो जाना चाहिए क्योंकि अगर वो शांत नही होंगे तो हमारे शरीर की कोशिकाएं भी मारी जाएंगी
दबानेवाला टी लिम्फोसाइट के सन्देश के बाद सहायक टी लिम्फोसाइट और साइटोटोक्सिक टी लिम्फोसाइट रुक जाती है
स्मृति टी लिम्फोसाइट (Memory t lymphocyte)
जब एक बार किसी तरह के पैथोजन का हमला हो चूका होता है तब हमारा स्मृति टी लिम्फोसाइट उस पैथोजन का आना, उससे हमारे शरीर के कोशिकाओं का लड़ना सब दर्ज कर लेता है
ताकि जब अगली बार इसी पैथोजन का हमला हो तब हमारा शरीर पहले से ही इससे लड़ने के लिए तैयार रहे
स्मृति टी लिम्फोसाइट हमला होते ही पहले ये पहचानने का काम करते है की ये पैथोजन पहली बार आया है या ये पहले भी हमारे शरीर पर आक्रमण कर चूका है
अगर ये पहली बार आया होता है तब तो सब प्रक्रिया दोबारा से होती है पर यदि यह पहले भी आ चूका होते है तब स्मृति टी लिम्फोसाइट की कुछ कोशिकाएं इससे लडती है
तथा कुछ कोशिकाएं हमारे अन्य लिम्फोसाइट को बुलाने चली जाती है जिनकी सहायता से हम पिछली बार इसको हराने में कामियाब हुए थे
स्मृति टी लिम्फोसाइट हमेशा आक्रमण के लिए भी तैयार होती है
बी लिम्फोसाइट (B lymphocyte)
बी लिम्फोसाइट के प्रकार
ये दो प्रकार की होती है
- प्लाज्मा लिम्फोसाइट
यह एंटीबाडी बनाने का काम करते है
- स्मृति लिम्फोसाइट
यह बस पुराने पैथोगन से लड़ने का रिकॉर्ड रखते है ताकि अगली बार जब यह हमला करे तब हमारा शरीर उनसे जैसे पहले लड़ा था उनके आने पर बिना समय व्यर्थ किये उनसे लड़ पाए और शरीर को सुरक्षित कर पाए
बी लिम्फोसाइट 5 तरह के एंटीबॉडी बनाते है
- Ig G
- Ig M
- Ig A
- Ig D
- Ig G
आइये इनके कार्य तथा इनकी अन्य विशेषताओं को जानते है
1.Ig G
- यह रक्त और मध्य द्रव में पाया जाता है
- इनमे गामा(gama) की हैवी चैन होती है
- यह 75% से 80% एंटीबॉडी बनाते है
- इनकी संख्या 1,46,000 होती है
- यह प्रतिरक्षक भ्रूण फोटोसाइटोसिस बनाता है
2. Ig M
- यह प्लाज्मा में पाया जाता है
- इनमे मयु(myu) की हैवी चैन होती है
- यह 5 से 10% एंटीबॉडी बनाते है
- इनकी जनसँख्या 9,00,000 होती है
- यह पहली एंटीबॉडी पैदा करते है
3.IgA
- यह म्यूकस झिल्ली में पाया जाता है
- इनमे अल्फ़ा(alpha) की हैवी चैन होती है
- यह 13 % एंटीबॉडी बनाते है
- इनकी जनसँख्या 8,85,000 होती है
- यह साँस के द्वारा ली जाने वाली पैथोजन से रक्षा करता है
4.IgD
- यह बी कोशिकाओं में पाया जाता है
- इनमे बीटा(bita) की हैवी चैन होती है
- यह 1% से कम एंटीबॉडी बनाते है
- इनकी जनसंख्या 1,80,000 होती है
- यह बी कोशिकाओं को सक्रिय करता है
5. Ig E
- यह मस्त ,बसोफिली कोशिका में पाया जाता है
- इनमे E के हैवी चैन पायी जाती है
- यह 1% से कम एंटीबॉडी बनाते है
- इनकी 2,00,000 जनसँख्या होती है
- यह एलर्जी से बचाता है
यह सवाल तो दिमाग में आया ही होगा की ये लिम्फोसाइट हमारे शरीर में कहा रहते है
Lymphocyte कहा पर पाया जाता है
लिम्फोसाइट रक्त में और लिम्फोइड अंग में पाए जाते है
लिमफोइड अंग
लिम्फोइड अंग वो अंग है है जो एंटीजन या पैथोजन के उनके पास आते ही उन्हें कैद कर लेते है तथा लिम्फोसाइट की सहायता से उनको मारने की प्रक्रिया करते है
लिम्फोइड अंग दो प्रकार के होते है
1) मुख्य(primary) लिमफोइड अंग
इसमें बोन मेरो(bone marrow) और प्लाज्मा(plasma) शामिल है |
2) माध्यमिक(secondary) लिमफोइड अंग
इसमें स्प्लीन,टोंसिल्स, अपेंडिक्स, पेएर पैच एमअलटी(MALT) आदि शामिल है |
लिमफोसाईट (Lymphocyte) कहाँ बनता है
लिमफो साईट बोन मेरो में बनता है, बोन मेरो हमारी लम्बी हड्डियों के बीच की जगह होती है, गभग हर प्रकार के लिमफोसाईट बोन मेरो में बनते है
नार्मल लिमफोसाईट काउंट (normal lymphocyte count) कितना होता है तथा कैसे करे
आम तौर पर श्वेत रक्त कोशिकाओं में लगभग 20% से लेकर 40% लिमफोसाईट होते है तथा बच्चो में थोडा ज्यादा भी होना आम है
एक सामान्य लिमफोसाईट गिनती आमतौर पर प्रति माइक्रोलीटर रक्त में 1,000 से लेकर 4,800 लिमफोसाईट के बीच होता है, बच्चो में सामान्य लिमफोसाईट की गिनती 3,000 से लेकर 9,000 के बीच में होता है
लिमफोसाईट की गिनती पता करने के लिए डॉक्टर रक्त जांच की सलाह देते है यह जांच हमारे श्वेत कोशिकाओं में कितनी लिमफोसाईट उपस्थित है
यह भी पता लगाते है तथा सही रूप से लिमफोसाईट की गिनती जानने के लिए डॉक्टर सीबीसी जांच (complete blood count) करवाने की सलाह देते है
बोन मेरो की जाँच से भी हमारे श्वेत रक्त कोशिकाओं में लिमफोसाईट की मात्रा पता लग जाती है
लिमफोसाईट कम होने के कारन – Lymphocyte kam hone ke karan
जब हमारे शरीर में लिमफोसाईट कम हो जाता है तब उस अवस्था को लिमफोसाईतोपेनिया (lymphocytopenia) कहते है
यह आम तौर पर 20% से 40% तक की होती है
लिमफोसाईटल अगर कम हो रहा है तो इसका कारण कोई बीमारी हो सकती है, कोई संक्रमण हो सकता है या कोई संगीन समस्या हो सकती है
सबसे आम कारण जिसके वजह से लिमफोसाईट कम होते है
- वायरल बुखार(viral fever)
- एंटीबायोटिक दवाइयां
- कीमो थैरेपी
- कैंसर, टुमेर
- रेडीशन थैरेपी
- कुछ ऐसे भी कारण होते है जिससे बोन मेरो कोशिका बनाने ही बंद कर देती है जिससे लिमफोसाईट कम हो जाते है
- बोन मेरो में बहुत सरे इसी दिक्कतें भी हो जाती है जैसे बोन मेरो में कुछ जाके एकत्र हो गया हो ग्लाइकोजन, तरल आदि बोन मेरो में जाके एकत्र हो जाते है जिसके कारण बोन मेरो कम लिमफोसाईट बनाता है
- कई बार आंत्र ज्वर और अन्य प्रकार के संक्रमणों के कारण भी लिमफोसाईट कम हो जाते है
लिमफोसाईट (Lymphocyte) कम होने से क्या होता है
- हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति कम हो जाती है जिसके वजह से हम ज़ल्दी किसी भी संक्रमण के शिकार हो जाते है
- हम किसी भी बीमारी से ज़ल्दी ठीक नही हो पाते है
- हमारे शरीर के घाव भी ठीक होने में ज़रुरत से ज्यादा समय लेते है
- पेट से जुडी समस्यां ज्यादा होने लगती है
- शरीर हर समय कमजोरी महसूस करता है
लिमफोसाईट कम होने के लक्षण – Lymphocyte kam hone ke lakshan
- बुखार
- जुखाम
- बहती नाक
- बढ़े हुए लिम्फ
- नोड्स
- छोटे टॉन्सिल
- जोड़ों में दर्द
- त्वचा के लाल चकत्ते
- रात को पसीना
- वजन घटना
लिमफोसाईट को कैसे बढाए – Lymphocytes ko kaise badhaye
जो भी हम खाते है वह हमारे शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं पर असर करता है अर्थात हमारा भोजन श्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ा भी सकता है और कम भी कर सकता है
लिमफोसाईट भी हमारे श्वेत रक्त कोशिकाओं में आते है, श्वेत रक्त कोशिकाओं का बढ़ना लिमफोसाईट को भी बढाता है तथा श्वेत रक्त कोशिकाओं का कम होना हमारे लिमफोसाईट को भी कम करता है
- विटामिन सी
विटामिन सी को नियमित रूप से खाने से हमारी श्वेत रक्त कोशिकाएं बढ़ती है निम्बू, संतरे और खट्टा खाने से विटामिन सी बढ़ता है पपीता, अमरुद, अनानास, फूल गोभी, गाजर, शिमला मिर्च आदि में अधिक मात्रा में विटामिन सी मौजूद होता है
- एंटीओक्सीडेंट
एंटीओक्सीडेंट रसायन से परिपूर्ण चीज़े खाने से लिमफोसाईट की मात्रा श्वेत रक्त कोशिकाओं में बढ़ जाती है, एंटीओक्सीडेंट नुक्सानदाई पदार्थों को बेअसर करते है
लीक, प्याज, लहसुन, चाय, अंगूर और अन्य फल और सब्जियां शामिल कर सकते है क्योंकि इनमें एंटीओक्सीडेंट की मात्रा अधिक होती है तथा इनको खाने से हमारे श्वेत रक्त कोशिकाओं में लिमफोसाईट की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
- ओमेगा-3 फैटी एसिड
हमारा शरीर इन तरह की एसिड को नही बना सकता है इसीलिए हमें ये बाहर भोजन के माध्यम से लेना पड़ता है यह लिमफोसाईट की गतिविधियों को बढ़ाता है
- चीनी, वसा और नमक से भरपूर खाद पदार्थों से यह हमारे शरीर में लिमफोसाईट की मात्रा को कम करता है इसीलिए हमें इन पदार्थों को कम खाना चाहिए
- एक नियमित तथा तत्यों से भरपूर्ण भोजन करना चहिए
शरीर में लिमफोसाईट क्यों बढ़ते है – Lymphocytes kyo jyada hota hai
लिमफोसाईट भी एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं होती है जो हमारे शरीर को रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है
- लिमफोसाईट बढ़ने की अवस्था लिमफोसितोसिस(lymphocytosis) कहलाती है
- शरीर में जब कोई संक्रमण होता है तो इसमें नयूट्रोफिल बढ़ता है पर कई बार लिमफोसाईट बढ़ जाता है
- लिमफोसाईट संक्रमण बैक्टीरिया संक्रमण, वायरल संक्रमण तथा कुछ अन्य प्रकार के संक्रमणों से भी बढ़ जाते है
- रक्त कैंसर से भी लिमफोसाईट बढ़ जाते है
- ऑटोइम्यून विकार भी लिमफोसाईट बढ़ने का कारण है
लिमफोसाईट बढ़ने के अन्य कारण
- हेपेटाइटिस A
- हेपेटाइटिस B
- हेपेटाइटिस C
- HIV/एच आई वी
- लिंफोमा
- मोनोन्युक्लेओसिस
- सिफिलिस
- टूबरकलोसिस
- व्हूपिंग कफ
लिमफोसाईट ज्यादा होने से क्या होता है
लिमफोसाईट ज्यादा होने से हमारी लिमफोसाईट कोशिकाएं हमारे शरीर की कोशिकाओं को भी मारना शुरू कर देती है यह बहुत ही गंभीर विषय है
हमारे शरीर की कोशिकाओं के मरने या कम होने से हमारे शरीर को तरह-तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है
तथा कई बार तो यह हमारे शरीर के सबसे महत्त्वपूर्ण कोशिकाओं को भी मार देती है जिससे हमारा शरीर कुछ दिन में ही कमज़ोर हो जाता है तथा हमें अस्पताल में दाखिल होना पड़ता है
तथा इनके ज्यादा होने से कई इसी बीमारियाँ भी हो सकती है जिनसे निपटारा पाना आसन नही होता है |
लिमफोसाईट ज्यादा होने के लक्षण
- गर्दन, पेट में सूजन होना
- साँस लेने में कठिनाई होना
- हमारे पेट में दर्द होना जो यह दर्शाता है की आपकी तिल्ली को बड़ा कर दिया है
- शरीर में थकान होना
- कम भूख लगना
- सही से आहार लेने के बाद भी असामान्य या बीमार महसूस करना
लिमफोसाईट को कम कैसे करे – Lymphocytes kam kaise kare
- लिमफोसाईट जिन कारणों से घटा है उन कारणों को सही करने के बाद ज़्यादातर लिमफोसाईट खुद की सामान्य हो जाता है
- कुछ दवाइयों का प्रयोग करने से भी लिमफोसाईट सामान्य हो जाते है तथा हमेशा दवाइयां अपने डॉक्टर की सलाह पर ही लीजिए
लिमफोसाईट को कम करने वाली दवाइयों के नाम – Lymphocytes ki dawai
- स्तेरोइड्स (steroids)
- अदालिमुमाब (adalimumab)
- इम्मुनोसुप्प्रेस्संत (immunosuppressant)
- पेंतोक्सिफ्य्ल्लिने (pentoxifylline)
- एचिनासा, मछली का तेल का सेवन भी लिमफोसाईट को कम करता है
- मछली, समुंद्री भोजन, मुर्गी, अंडे, बीन्स आदि का भोग करने से भी लिमफोसाईट कम होता है
Note : स्वास्थ संबंधित किसी भी प्रकार की दवा लेने के पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है
FAQ,s – Lymphocytes meaning in Hindi
सवाल : लिम्फोसाइट क्या होता है ?
लिम्फोसाइट हमारी श्वेत रक्त कोशिका का ही भाग है तथा ये एक ख़ास प्रकार की कोशिकाएं होती है जो हमारे शरीर को बाहरी कोशिकाओं के हमले से बचाती है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी भी बनती है |
सवाल : लिम्फोसाइट बढ़ने से कौन सी बीमारी होती है ?
इससे लिंफोमा कैंसर होता है तथा हमारा शरीर धीरे धीरे बीमार होने लगता है कभी कभी तो ये बहुत संगीन बीमारियों को भी पैदा कर देता है |
सवाल : लिम्फोसाइट को कम कैसे करे ?
- लिमफोसाईट जिन कारणों से घटा है उन कारणों को सही करने के बाद ज़्यादातर लिमफोसाईट खुद की सामान्य हो जाता है
- कुछ दवाइयों का प्रयोग करने से भी लिमफोसाईट सामान्य हो जाते है तथा हमेशा दवाइयां अपने डॉक्टर की सलाह पर ही लीजिए
सवाल : लिम्फोसाइट को ज्यादा कैसे करे ?
जो भी हम खाते है वह हमारे शरीर में श्वेत रक्त कोशिकाओं पर असर करता है अर्थात हमारा भोजन श्वेत रक्त कोशिकाओं को बढ़ा भी सकता है और कम भी कर सकता है
अपने आहार में विटामिन सी, एंटीऑक्सीडेंट, फैटी एसिड आदि का प्रयोग करके हम अपने लिम्फोसाइट को बढ़ा सकते है
सवाल : लिम्फोसाइट कहाँ बनता है ?
लिम्फोसाइट बोन मेरो में बनता है |
सवाल : लिम्फोसाइट के कितने प्रकार होते है ?
लिम्फोसाइट के तीन प्रकार होते है
- नेचुरल किलर लिम्फोसाइट
- टी लिम्फोसाइट
- बी लिम्फोसाइट
Disclaimer
Conclusion
इस लेख में आपने Lymphocytes meaning in Hindi के बारे में जाना आशा करते है | आप लिम्फसाइट हिंदी मतलब क्या है जैसे महत्वपूर्ण विषय की पूरी जानकारी जान चुके होंगे।
आपको लगता है कि इसे दूसरे के साथ भी Share करना चाहिए तो इसे Social Media पर सबके साथ इसे Share अवश्य करें।
और इस विषय संबंधित कोई भी सवाल आप के मन में होगा तो निचे कमेंट में बताये हम आप के कमेंट का जरूर जवाब देंगे | शुरू से अंत तक इस लेख को पढ़ने के लिए तहेदिल से शुक्रिया…