साइनस याने क्या ? साइनस का इलाज कैसे करे (sinus meaning in Hindi)

Sinus Meaning in Hindबदलते मौसम के कारण कई प्रकार की बीमारी उत्पन्न होती है, जिसमें सबसे सामान्य सर्दी-खाँसी, बुखार, सिर दर्द, आंतरिक कमजोरी है। यह सब बीमारी एक से 3 तीनों के अन्दर खत्म भी हो जाती है,

लेकिन जब यही सब सामान्य बीमारी अपनी अवधि के दौरान खत्म नही होती है तब वह किसी बड़े लक्षण की ओर ध्यान भटकाने लगती है।

सर्दी-जुकाम एक ऐसी परेशानी है जो दो से चार दिनों में अपने आप ठीक होने लगता है। जो जुकाम एक हफ्ते में ठीक हो जाए वो कॉमन फ्लू है, लेकिन जो लंबे समय तक बना रहे वो साइनस हो सकता है।

जब भी नकद्वार से जुकाम बहती है तब वह हमारें शरीर के लिए काफी फ़ायदेमंद होती है, क्योंकि इसके जरिये शरीर के अन्दर मौजूद गंदगी निकलने लगती है, लेकिन क्या होगा यह अत्यधिक मात्रा में आने लगे तब यह शरीर के लिए किसी भी दृष्टि से सही नही है।

मौसम में हो रही बदलाव की वजह से साइनस की समस्या भी बढ़ रही है। वर्तमान में भारत में 13 – 14 करोड़ लोग इस बीमारी से ग्रसित है

और वैज्ञानिकों की मानें तो साइनस हर 8 में से 1 व्यक्ति में मौजूद होता है, लेकिन कई बार ऐसा भी होती है कि उनको पता भी नही चलती की कब उन्हे साइनस हो गया है।

इस आर्टिकल में आप साइनस याने क्या ? साइनस का इलाज कैसे करे (sinus meaning in hindi) के बारें में वृस्तीत जानकारी जान पाएंगे, साथ ही आप साइनस कितने कितने प्रकार का होता है? और साइनस की रोकथाम कैसे करें? के बारें में संबन्धित जानकारी पढ़ सकते है।

 

sinus in hindi
Sinus Meaning in Hind

 

साइनस क्या होता है ? (Sinus Meaning in Hindi)

साइनस एक हवा की थैली होती है, जो खोपड़ी और चेहरे की हड्डियों के बीच में स्थित होती है और छोटे ट्यूमर्स या चैनल्स के माध्यम से नाम की नलिकाओं से जुड़ी होती है। साइनस की थैली के माध्यम से शुद्ध वायु फेफड़ों के अन्दर जाती है।

साथ ही दूषित वायु को नाक के अन्दर जाने से रोकती है और उसे बलगम के माध्यम से बाहर निकालती है। साइनस में जब बलगम (म्यूकस) के मार्ग में वाधा आती है, तब यह साइनस संक्रामण की समस्या आने लगती है। इस तरह म्यूकस में अवरोध के कारण साइनस में सूजन व बलगम में इन्फेक्शन का कारण बनती है।

साइनस को आमतौर पर सांस की बीमारी या इंफेक्शन से होने वाली बीमारी माना जाता है, जबकि ये नाक की एक गंभीर बीमारी है। जिसमें नाक की हड्डी बढ़कर तिरछी हो जाती है।

जिससे सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। साइनस से पीड़ित व्यक्ति को ठंडी हवा, धूल और धुएं के संपर्क में आने से परेशानी बढ़ जाती है।

साइनस एक हिन्दी नाम है, जिसे इंग्लिश में साइनोसाइटिस (Sinusitis) के नाम से जानी जाती है तो वही आयुर्वेद में इसे प्रतिश्याय के नाम से जानी जाती है।

सर्दी के मौसम में नाक बंद होना, सिर में दर्द होना, आधे सिर में बहुत तेज दर्द होना, नाक से पानी गिरना इस रोग के लक्षण हैं।

जब भी किसी को इस तरह की परेशानी होती है तब रोगी को हल्का बुखार, आँखों में पलकों के ऊपर या दोनों किनारें पर जलन और दर्द जैसी महसूस होती है।

कई बार यह बीमारी समय के साथ ठीक हो जाती है, लेकिन यदि काफी लंबे समय तक रह जाए तो उसके लिए नाक की सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है।

” Sinus meaning in hindi ” के अनुसार इसका मतलब शिरानाल, विवर, नाड़ीव्रण होती है। वैसा बीमारी जो नाकद्वार के जरिये जुकाम के रूप में कई दिनों तक ठीक ना हो और नाकों की हड्डी बढ़ने की समस्या उत्पन्न होने लगे, तब उसे साइनस नाम से जाना जाता है।

 

साइनस के कितने कितने प्रकार का होता है ? (Sinus Types in Hindi)

साइनस रोग का भी 4 प्रकार होती है, जिसमें एक्यूट साइनस, क्रोनिक साइनस, डेविएटेड साइनस और हे साइनस जिसका विवरण नीचे दी गई है: –

  1. तीव्र साइनोसाइटिस (Acute sinusitis) –क्यूट साइनस मुख्य रूप से उस स्थिति में होता है, जब कोई व्यक्ति किसी तरह के वायरस या बैक्टीरिया के संपर्क में आ जाता है। इस प्रकार में लक्षण अचानक शुरू होकर दो से चार हफ्तों तक तकलीफ रहती है।
  2. जीर्ण साइनोसाइटिस (Chronic sinusitis) –इस प्रकार के साइनस से नाक के छेद्रों के आस-पास की कोशिकाएं सूज जाती हैं। नाक में सूजन आ जाती है और नाक में दर्द भी रहता है। इस प्रकार में लक्षण बारह हफ्तों से अधिक समय तक रहता है।
  3. मध्यम तीव्र साइनोसाइटिस (Sub-Acute sinusitis) –जब साइनस नाक के एक हिस्से पर होता है, तो उसे डेविएटेड साइनस के नाम से जाना जाता है। इसके होने पर नाक बंद हो जाती है और व्यक्ति को सांस लेने में तकलीफ होती है। इस प्रकार में साइनस में सूजन चार से बारह हफ्तों तक रहती है।
  4. आवर्तक साइनोसाइटिस (Recurrent sinusitis) –इसे हे साइनस और एलर्जी साइनस भी कहा जा सकता है। यह साइनस मुख्य रूप से उस व्यक्ति को होता है, जिसे धूल के कणों, पालतू जानवरों इत्यादि से एलर्जी होती है। इस प्रकार में रोगी को सालभर बार-बार साइनासाइटिस की समस्या होती रहती है।

 

साइनस के लक्षण क्या हैं ? (Sinus Symptoms in Hindi)

अन्य बीमारी के जैसे ही साइनस के भी कई लक्षण होती है, लेकिन इसका सिरदर्द जैसी समस्या का होना सबसे आम बात है, लेकिन इसके अलावा भी और भी लक्षण होती है।

बहुत सारें लोग डॉक्टर को यह भी बताते है कि उनको पता भी नही चला कि उन्हे साइनस कब हो गई और कब खत्म भी हो गई।

जब यह इसके किटाणु नाकद्वार में कम होती है तब यह जल्दी अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन अधिक दिनों तक सर्दी-जुकाम होने के कारण इसकी समस्या और बढ़ने लगती है। आपको यह पता होना चाहिए कि Sinus symptoms in hindi क्या है: –

 

सिरदर्द – साइनोसाइटिस यानि साइनस का यह सबसे सामान्य लक्षणों में से एक होती है। जब साइनस कैविटीज बंद होने या जब उसमें सूजन की वजह से साँस लेने में दिक्कत होती है, जिससे साँस लेने के क्रम में पहले की तुलना में अत्यधिक जोड़ लगानी पड़ती है। 

जिससे साँस लेने की यह अवस्था भारी सिरदर्द पैदा करती है, क्योंकि इससे आपके सिर और नसों पर दबाव पड़ता है और इससे ग्रसित रोगी को हमेशा सिरदर्द देती ही रहती है।

इस दर्द का अनुभव आप माथे, गाल की हड्डियों और नाक के आस-पास महसूस कर सकते हैं। कई बार यह दर्द असहनीय अवस्था में पहुंच जाता है।

 

बुखार और बेचैनी – इससे ग्रसित व्यक्ति को बुखार भी आ जाती है और अंदर ही अंदर एक अजीब-सी बेचैनी जैसी महसूस होने लगती है, लेकिन आपको यह ध्यान रखना होगा कि अत्यधिक दिन से जुकाम है और बुखार नही आ रही है तो वह साइनस नही हो सकती है।

 

आवाज़ में बदलाव – साइनस के कारण नाक से तरल पदार्थ निकलता रहता है और दर्द होता है, जिसका असर आपकी आवाज पर भी पड़ता है। इस दौरान, आपकी आवाज सामान्य से थोड़ी भिन्न हो जाती है। आवाज में भारीपन या धीमापन आ जाता है। आवाज में हो रहे इस बदलाव के जरिए आप साइनस के लक्षण की पहचान कर सकते हैं।

 

सूंघने की शक्ति कमजोर होना- खोखले छिद्रों में अवरोध पैदा होने के कारण सूंघने की शक्ति पर प्रभाव पड़ता है। इस अवस्था में नाक बंद हो जाती है और सूजन के कारण इंद्रियां अपना काम ठीक से नहीं कर पाती हैं। इसलिए, किसी भी चीज को सूंघने की सामान्य क्षमता कम हो जाती है।

 

खांसी – तेज खांसी को भी साइनस का मुख्य लक्षण माना गया है। साइनस से गले और फेफड़े प्रभावित होते हैं, जिससे मरीज खांसी की चपेट में आ जाता है। इसलिए, इन लक्षणों को हल्के में न लें।

 

थकान – चिकित्सकों का मानना है कि अगर तेज जुकाम के साथ सिरदर्द, नींद न आना, नाक का बार-बार बंद होना और थकान महसूस होती है, तो यह लक्षण साइनस के हैं।

 

साइनस किन कारणों से होता है ? (Sinus Causes in Hindi)

हर बीमारी के पीछे उसका कारण छुपी हुई रहती है। जब-जब मानवीय भूल हो जाती है और उससे उसके शरीर में पीड़ा उत्पन्न होने लगती है तब वह किसी ना किसी बीमारी से ग्रसित हो जाता है।

यहाँ तक तो हम लोग यह जान गए है कि साइनस एक नाक की बीमारी है, जिससे स्वसन क्रिया में वाधा उत्पन्न होने लगती है।

मानव शरीर में कई कैविटीज यानि खोखले छिद्र होती है, जिससे साँस लेने में हमारी मदद हो पाती है और मानव सिर को हल्का रखने में मदद करती है। इन छिद्रों को साइनस या वायुविवर कहा जाता है। जब इन छिद्रों में किसी कारणवश गतिरोध पैदा होता है,

तब साइनस की समस्या उत्पन्न होती है। ये छिद्र कई कारणों से प्रभावित हो सकते हैं और बैक्टीरिया, फंगल व वायरल इसे गंभीर बना देते हैं। नीचे कई अहम बातें बताई गई है, जिससे sinus causes उत्पन्न होने लग जाती है: –

 

एलर्जी का होना – ऐसी बीमारी वैसे लोगों में अधिक होने की संभावना बढ़ जाती है, जिनको किसी भी प्रकार की एलर्जी का प्रॉबलम है। बहुत सारें लोगों में नाम संबंधी एलर्जी की शिकायत रहती है। बाहर की दूषित वायु के संपर्क में आते ही यह समस्या बढ़ जाती है।

नाक संबंधी एलर्जी मौसम के कारण भी हो सकती है। सर्दियों के दर्द, आवाज में बदलाव, सिरदर्द आदि आम हैं, लेकिन आप इन्हें हल्के में न लें। साइनस इन्हीं लक्षणों के साथ दस्तक देता है।

 

भोजन – आजकल के लोग अच्छी स्वाद वालें भोजन को अधिक पसंद करते है, लेकिन वह भूल जाते है कि किसी भी भोजन में स्वाद के साथ-साथ स्वादिष्ट भी होना चाहिए। खान-पान में बरती गई लापरवाही भी साइनस जैसे गंभीर बीमारी का मुख्य कारण बन सकती है।

 

फैमिली हिस्ट्री का होना – कई बीमारी में यह भी देखा गया है कि उसके जेनेरेशन में किसी भी एक व्यक्ति को ऐसी बीमारी हो जाती है, तब उसके आने वालें पीढ़ी में भी ऐसी रोग हो सकती है और इसकी संभावना भी बढ़ सकती है।

 

नाक की हड्डी बढ़ाना – साइनस होने के मुख्य कारण यही है, जब भी किसी व्यक्ति के नाक की हड्डी लक्ष्य से पहले ही बढ़ने लग जाती है तब उसको साइनस की समस्या होने लगती है। दरअसल, बचपन या किशोरावस्था में नाक पर चोट लगने या दबने के कारण नाक की हड्डी एक तरफ मुड़ जाती है,

जिससे नाक का आकार टेढ़ा दिखाई देता है। हड्डी का यह झुकाव नाक के छिद्र को प्रभावित करता है, जिससे साइनस की समस्या हो सकती है। कोई भी कारण, जो श्वास छिद्रों में अवरोध पैदा करते हैं, उनसे साइनस की समस्या पैदा हो सकती है।

 

प्रदूषण – बीमारी समस्या का जड़ तो प्रदूषण ही है, क्योंकि इसी की वजह से आए दिन नए-नए लक्षणो के कारण कई बीमारी उत्पन्न होती रहती है। धूल के कण, स्मॉग और दूषित वायु के कारण साइनस की समस्या बढ़ सकती है। ये हानिकारक कण सीधे हमारी श्वास नली पर प्रहार करते हैं। इससे धीरे-धीरे जुकाम, नाक का बहना और दर्द आदि समस्या होती है।

 

Sinus Causes in Hindi को सम्मिलित रूप से देखा जाएँ तो समान्यत: जुकाम, एलर्जी, नजल पॉलीप्स, नाक की हड्डी के टेढ़े होने के कारण नाक ब्लॉक हो जाती है साइनस की समस्या होने लगती है। जिससे साइनस के उत्तक अधिक कफ बनाते है और सूज जाते है। यह बीमारी मौसम बदलते समय ज्यादा होती है।

 

साइनस का इलाज कैसे किया जा सकता है? (Sinus Treatments in Hindi)  

साइनस का इलाज़ कई विधि से किया जाता है, चूँकि यह नाक की संक्रामण बीमारी है, इसलिए इसको हल्के में नही लेना चाहिए। जब भी आपको ऊपर में बताई गई कोई भी लक्षण दिखती है तब तुरंत डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए।

अगर हम साइनस के उपचार के बारें में बातें करें तो उसके लिए निन्म्लिखित चीजों को अत्यधिक प्रयोग में लाई जाती है:

  • सीटी स्कैन या एक्स-रे, कफ की स्थिति और जरूरत पड़ने पर नाक की भी एंडोस्कोपि जाँच की जाती है।
  • एंटीबायोटिक्स, एंटीएलजिर्क्स, पेनकिलर्स, नोजल ड्रॉप और स्प्रे के माध्यम से साइनोसाइटिस का उपचार किया जाता है और जरूरत पड़ने पर प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए स्टेरॉयड्स दिये जाते है।
  • कफ को पतला करने के लिए गरम तरह पदार्थ जैसे सूप, काढ़ा, चाय का सेवन करने से साइनोसाइटिस मे आराम मिलती है।
  • गरम पानी से शौवर या भाप लेने से भी साइनस की समस्या में राहत मिलती है।

 

ऊपर में बताई गई मुख्य बातें कारगर साबित हुई है, लेकिन आपको डॉक्टर की सलाह अवश्य लेना चाहिए। Sinus संक्रामण के लिहाज से काफी संवेदनशील होते है और ऐसे में सांस लेते समय शरीर में रोगाणु और एलर्जी पैदा करने वालें कण भी हवा के साथ अंदर जाते है जो काफी तकलीफ देते है।

जब आपको साइनोसाइटिस यानि साइनस की बीमारी हो जाएँ, तब आपको अपने जीवनशैली में कुछ फेर-बदल करने की जरूरत पड़ती है और नीचे बताई गई बातों को भी फॉलो करना पड़ेगा: –

  • संक्रमण के दौरान सीमित मात्रा में खाएं, आहार में साबुत अनाज, फलियाँ, दालें, हल्की पकी सब्जियाँ, सूप और शीतलन की प्रक्रिया से बने तेल (जैतून का तैल)
  • शिमला मिर्च, लहसुन, प्याज और हॉर्सरेडिश अपने सूप और आहार में शामिल करें, ये अतिरिक्त म्यूकस को पतला करके निकलने में सहायक हेते हैं।
  • दस से पंद्रह तुलसी के पत्ते, एक टुकड़ा अदरक और दस से पंद्रह पत्ते पुदीने के लें। सबको पीसकर एक गिलास पानी में उबाल लें। जब पानी उबलकर आधा रह जाए तो उसे छान लें और स्वाद के अनुसार शहद मिलाकर पिएं। इसे पूरे दिन में दो बार (सुबह खाने के बाद और रात को सोने से पहले) पीने से साइनस में आराम मिलता है।
  • अदरक साइनस के दर्द को पैदा करने वाले सूक्ष्म जीवों को खत्म करती है। दो से तीन कप पानी में एक अदरक की जड़ को स्लाइस कर के उबालें। फिर 10 मिनट तक ठण्डा करें और पियें।
  • जब इन सभी विधि से भी आपका साइनस ठीक नही होती है तब आपको डॉक्टर के सलाह के बाद अपने नाक का साइनस सर्जरी करा लेना चाहिए, जिससे यह बीमारी जड़ से ही खत्म हो जाती है।

 

साइनस के इलाज का खर्चा कितना है ? (Sinus Treatment Cost in Hindi)

साइनस को माइनस में करने के लिए इसका सही इलाज़ कराना बहुत ही जरूरी होती है अगर यह साइनस का घरेलू उपचार से ठीक नही होती है तब साइनस सर्जरी कराने तक की नौबत आ जाती है। जिसका इलाज़ मॉडर्न और एडवांस सर्जिकल प्रक्रिया से किया जाता है।

अगर हम sinus surgery cost की बात करें तो आमतौर पर इसमें 40 हजार से 1 लाख रुपए तक का खर्च आ ही जाती है, जो इस बात पर डिपेंड करता है कि आप इसके किस स्थिति में और आपसे डॉक्टर कितने रुपए की माँग करता है, जिसके अनुसार यह घट-बढ़ सकती है।

साइनस के इलाज और राज्य  इलाज का खर्चा
दिल्ली एनसीआर में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग =  40,000-68,000 रुपए आता है
मुंबई में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 45,000-70,000 रुपए आता है
पुणे में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 38,000-68,000 रुपए आता है
कोलकाता में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 40,000-70,000 रुपए आता है
हैदराबाद में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 42,000-72,000 रुपए आता है
बैंगलोर में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 45,000-75,000 रुपए आता है
चेन्नई में साइनोसाइटिस की सर्जरी का खर्च लगभग = 43,000-71,000 रुपए आता है

 

साइनस के जोखिम क्या हो सकते हैं ? (Sinus Complications in Hindi)

जब समय पर इसका इलाज़ नही किया गया तब यह संक्रामण बीमारी आपके शरीर के लिए काफी हानिकारक साबित हो सकती है और सबसे जरूरी बात कभी भी sinus को हल्के में लेकर नज़रअंदाज नही करना चाहिए।

समय पर इसका इलाज़ नही करने पर नाकद्वार बंद हो जाने के कारण और साँस नही लेने के कारण व्यक्ति की मौत भी हो सकती है।

 

साइनस के लाइलाज रहने पर निम्नलिखित जोखिम हो सकते हैं: –

  • साइनस का मस्तिष्क में फैलना – सामान्यतौर पर यह बीमारी 30 दिनों के भीतर ठीक हो जाती है अगर इलाज़ समय पर किया जाएँ तब, लेकिन कभी – कभी लोग इसे छोटी-मोटी बीमारी समझ लेते है जिससे साइनस उसके मस्तिष्क में फ़ैल जाती है, जिससे ब्रेन सर्जरी ही एक मात्र विकल्प बचती है।
  • अस्थमा का होना – इसका इलाज़ समय पर नही होने के कारण अस्थमा की बीमारी हो सकती है और यह बीमारी वैसे ही लोगों को होने की संभावना होती है, जिनमें पहले से अस्थमा का लक्षण होती है।
  • आँखों में संक्रामण का होना – जब अत्यधिक दिनों तक साइनस के कारण सर्दी-जुकाम होने लगती है तब नाक के ऊपर के हर अंग को नुकसान पहुंचाने लगती है जिसमें पहले वह आँखों की रौशनी को कम कर देती है।

 

साइनस की रोकथाम कैसे करें? (Sinus Precautions in Hindi)

जैसा की हमने आपको बताया कि यह एक संक्रामण बीमारी है, जिसे दूसरों लोगों को भी खतरा होती है। जब भी आपको यह रोग हो जाये तो यह कोशिश करें कि हमसे किसी दूसरे को साइनस नही हो। नीचे हम कई Sinus Precautions in Hindi के बारें में जानकारी दे रहें है:

  • ध्रूमपान न करना- किसी भी व्यक्ति को ध्रूमपान नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे कई बीमारियां हो सकती हैं।
  • छींकते या खांसते समय मुंह ढकना- छींकते या खांसते समय टिशू पेपर या रूमाल का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि दूसरे व्यक्ति तक वायरस या बैक्टीरिया न फैलें।
  • नाक को साफ रखना- साइनस नाक की बीमारी है, इसलिए नाक का विशेष ध्यान रखना चाहिए और नाक को साफ रखना चाहिए।
  • स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना- कोल्ड ड्रिंक या जूस पीने के लिए स्ट्रॉ का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि उसका असर उसके नाक या मस्तिष्क पर न पड़े।
  • डॉक्टर के संपर्क रखना- यदि व्यक्ति को नाक संबंधी कोई परेशानी हो तो उसको तुंरत डॉक्टर से मिलना चाहिए।

  

Sinus disease FAQ’s

साइनस इन्फेक्शन क्या है?

यह एक नाक संबंधी इन्फेक्शन है, जब अत्यधिक दिनों तक सर्दी-जुकाम होने लगती है और नाक के जरिये शरीर के अंदर से गंदगी निकलने लगती है, तब वहाँ की मांशपेशी और हड्डी में सूजन हो जाती है जिससे साँस लेने में कठिनाई होने लगती है जो इन्फेक्शन का कारण बन जाती है।

साइनस इन्फेक्शन के लक्षण क्या है?

दरअसल ऐसी इन्फेक्शन बदलते मौषम के साथ ज्यादा होती है, जिससे खाँसना, थकान, बुखार, दांत का दर्द, बदबूदार सांस, सिरदर्द, सुस्त चेहरे का दबाव, पोस्ट नेज़ल ड्रिप, कर्कश आवाज, गले में खरास, गंध और स्वाद की सीमित भावना, कान में दबाव इसके सभी लक्षण है।

साइनसाइटिस कितने प्रकार के होते हैं?

यदि साइनसाइटिस 4 सप्ताह से कम समय तक रहता है, तो इसे तीव्र साइनसाइटिस कहा जाता है। यदि यह 4 से 12 सप्ताह के बीच रहता है, तो इसे सबस्यूट साइनोसाइटिस कहा जाता है।  यदि यह 12 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है, तो इसे क्रोनिक साइनसिसिस कहा जाता है।

मैं साइनस संक्रमण को कैसे रोक सकता हूँ?

साइनस संक्रमण अक्सर सामान्य सर्दी से विकसित होता है, इसलिए अपने आप को सर्दी से बचाने के लिए कदम उठाना, जैसे कि बार-बार हाथ धोना, साइनस संक्रमण को रोक सकता है। साइनस को नम रखने और संक्रमण को होने से रोकने में मदद करने के लिए आप अपने घर में एक ह्यूमिडिफायर का उपयोग कर सकते हैं। यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ने से आपका जोखिम भी कम हो सकता है।

साइनस संक्रमण के लिए उपचार के विकल्प क्या हैं?

  • सर्दी खांसी की दवा
  • नाक स्प्रे
  • एंटीबायोटिक्स और इम्यूनोथेरेपी
  • घरेलू उपचार
  • स्टेरॉयड

 

इस Article में आपने साइनस के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज : Home remedies for Sinus के बारें में जाना। आशा करता हूँ आप क्या है साइनस, कैसे करें इलाज? (Sinus in Hindi) की पूरी जानकारी जान चुके होंगे।

आपको लगता है कि इसे दूसरे के साथ भी Share करना चाहिए तो इसे Social Media पर सबके साथ इसे Share अवश्य करें। शुरू से अंत तक इस Article को Read करने के लिए आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया…